SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र पावकम्मकारी बहूणि पलिओवमसागरोवमाणि कलुणं पालेंति ते अहाउयं जमकातियतासिता य सद्द करेंति भीया । किं ते ? 'अविभाय सामि भाय वप्प ताय जितवं मुय मे मरामि, दुब्बलो वाहिपीलिओ अहं, किं दाणिऽसि, एवं दारुणो निद्दओ य मा देहि मे पहारे, उस्सासेतं (एयं) मुहुत्तयं मे देहि, पसायं करेह, मा रुस, वीसमामि, गेविज्जं मुयह मे,मरामि, गाढं तण्हाइओ अहं, देहि पाणीयं ।' हंता (ताहंतंपिय) पिय इमं जलं विमलं सीयलं ति घेत्तूण य नरयपाला तवियं तउयं से देंति कलसेण अंजलीसु । दट्ठ णय तं पवेवियंगोवंगा अंसुपगलंतपप्पुयच्छा छिण्णा तण्हाइयम्ह कलुणाणिं जपमाणा विप्रोक्खंता दिसोदिसिं अत्ताणा असरणा अणाहा अबांधवा बंधुविप्पहीणा विपलायंति य मिगा इव वेगेण भयुव्विग्गा, घेत्तूण य बला पलायमाणाणं निरणुकंपा मुहं विहाडेत्तु लोहडंडेहिं कलकलं ण्हं वयणंसि छुभंति, केइ जमकाइया हसंता । तेण दड्ढा संतो रसंति भीमाइं विस्सराइ रुवंति य कलुणगाइ पारेवयगा (इ) व एवं पलवित-विलाव-कलुणाकंदियबहुरुन्नरुदियसद्दो परिदे (वे) वियरुद्धबद्धयनारकारवसंकुलो णीसिट्ठो; रसिय-भणिय - कुविय - उक्कइय - निरयपालतज्जियं गेण्ह कम पहर छिदभिद उप्पाडेहुक्खणाहि कत्ताहि विकत्ताहि य भुज्जो (भंज) हण विहण विच्छुभोच्छुभ आकड्ढ विकड्ढ किं ण जंपसि ? सराहि पावकम्माई (कियाइ) दुक्कयाइं एवं वयणमहप्पगब्भो (सं) पडिसुयसहसंकुलो उत्तासओ सया निरयगोयराण महाणगरडज्झमाणसरिसो निग्घोसो सुच्चए अणिट्ठो तहिं नेरइयाणं जाइज्जताणं जायणाहिं । किं ते ? असिवण-दब्भवण - जंतपत्थर - सूइतल - क्खारवावि - कलकलंतवेयरणि - कलंब - वालुया-जलियगुहनिरु भणं . उसिणोसिण - कंटइल्ल . 'दुग्गमरहजोयणतत्तलोहमग्ग (पह) गमण-वाहणाणि इमेहिं विवि
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy