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________________ स्वाभिमानी था। उसने एक सशक्त संगठन करके महमूद को रोकना चाहा। धनी-निर्धन सभी ने आनन्दपाल की सहायता के लिए द्रव्य दिया। महमद आनन्दपाल से आतंकित था किन्त दुर्भाग्यवश आनन्दपाल का हाथी भाग जाने से महमुद को विजय हाथ लगी। उसने ज्वालामुखी के मन्दिर को लूटा। उसके अन्य आक्रमणों में १०२६ ई० का सोमनाथ का आक्रमण प्रसिद्ध है। प्रत्येक बार महमूद को लूट में अतुल सम्पत्ति मिली । वह स्वयं धर्म-युद्ध के नाम पर प्रतिवर्ष भारत पर आक्रमण करता था; किन्तु उसके आक्रमणों के मूल में धनेप्सा ही अधिक दृष्टिगोचर होती है। इस समय तक वह धन के साथ २ राज्य का लोभ भी विस्मरण न कर सका था। पंजाब में उसने अपनी सत्ता स्थापित कर ली किन्तु उसकी मृत्यु के बाद पंजाब पुनः स्वतंत्र हो गया। ११७५ ई० में मुहम्मद गोरी ने गजनी शासन का अन्त कर दिया। इस बीच छुटपुट हमलों के अतिरिक्त कोई बड़ा आक्रमण भारत पर न हुआ। मुहम्मद गोरी ने विशद्ध साम्राज्य-विस्तार की इच्छा से भारत पर आक्रमण किए। उसे गुजरात शासक भीमदेव ने पराजित कर दिया था। अनेक साहसी शूरवीर, युद्धप्रेमी राजपूतों और उनमें श्रेष्ठ पृथ्वीराज चौहान को हराये बिना मुहम्मद गोरी का उद्देश्य पूरा होना संभव न था। राजपूत जीते जी सूच्यग्रभाग के बराबर जमीन भी किसी को देने को तैयार न थे। वे सारे उत्तरी व दक्षिणी भारत में फैले हुए थे। साहस और शौर्य में वे आक्रान्ताओं से कम न थे। हां, वे कभी संगठित होकर शत्रु से न लड़ पाये और शताब्दियों तक संघर्षरत रह कर स्वाधीनता की दीपशिखा को उन्नत व प्रद्योतित रखते हुए भी काल के प्रवाह में उनकी भावना व प्रयत्नों को साफल्य न मिल सका। सारे भारत में स्थापित राजपूत-राज्यों में कुछ अत्यन्त उत्कर्ष को प्राप्त होने के कारण प्रसिद्ध है । जिस समय देश के सीमान्त सिंहद्वारों की अर्गला को विधर्मी आक्रान्ता बार बार खटखटा रहे थे और कभी-कभी भीषण प्रहार से ये द्वार और इनके प्रहरी आघात सहने में असमर्थ हो जाते थे, उस समय नितान्त शान्तिपूर्वक कुछ राज्यों के शासक विद्या और कलाओं की उपासना में रत थे। ऐसे शासकों में गुजरात के सोलंकी-वंशज सिद्धराज जयसिंह, मालवे के परमारवंशी वाक्पतिराज (मुञ्जदेव) व भोज तथा राजपूताने के चौहानवंशी विग्रहराज (वीसलदेव) के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं । गुजरात के अणहिलपट्टन स्थान पर सोलंकी राज्य की स्थापना मूलराज ने की थी। मूलराज के पुत्र चामुण्डराज ने सिन्धुराज (भोज के पिता) को युद्ध में मारा था। इसलिए सोलकियों और परमारों में आपसी शत्रुता हो गई। फलस्वरूप मालवा और गुजरात में बराबर युद्ध होते रहे। चामुण्डराज के बाद उसके दो पुत्रों वल्लभराज और दुर्लभराज ने गुजरात पर शासन किया। दुर्लभराज का विवाह नाडोल के चौहान राजा महेन्द्र की बहिन दुर्लभदेवी से हुआ था। १०२१ ई० में उसकी मृत्यु के बाद उसके छोटे भाई नागराज १. भारत का इतिहास : डॉ. ईश्वरीप्रसाद व राजपूताने का इतिहास प्र० भा०, गौ० ह० प्रोझा कृत । २. जैन साहित्य नो संक्षिप्त इतिहास : मो. द. देशाई, व मोझाजी कृत राजपूताने का इतिहास बल्लभ-भारती]
SR No.002461
Book TitleVallabh Bharti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherKhartargacchiya Shree Jinrangsuriji Upashray
Publication Year1975
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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