SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ =अकबर प्रतिबोधक कोन ? अमारि एवं धार्मिक सुरक्षा संबंधी जहाँगीर बादशाह का फ़रमान क्रमांक - 7 का अनुवाद । अबुलमुज़फ्फ़र सुल्तान शाह सलीम गाजी का दुनिया द्वारा माना हुआ फ़र्मान। नक़ल मुताबिक़ असल के हैं। बड़े कामों से संबंध रखनेवाली आज्ञा देने वालों, उनको अमलमें लानेवालों, उनके अहलकारों तथा वर्तमान और भविष्य के मुआमलतदारों... आदि और मुख्यतया सोरठ सरकार को शाही सम्मान प्राप्त करके तथा आशा रखके मालूम हो कि 'भानुचंद्र यति' और 'खुशफ़हम' का खिताब वाले सिद्धिचंद्र यति ने हमसे प्रार्थना की कि, - 'जज़िआ , कर, गाय, बैल, भैंस, और भैंसे की हिंसा, प्रत्येक महीने नियत दिनों में हिंसा, मरे हुए लोगों के माल पर कब्ज़ा करना, लोगो को कैद करना और सोरठ सरकार शत्रुजय तीर्थ पर लोगों से जो मेहसूल लेती है वह महसूल, इन सारी बातों की आला हज़रत (अकबर बादशाह ने) मनाई और माफ़ी की है।' इससे हमने भी हरेक आदमी पर हमारी महरबानी है इससे एक दूसरा महीना जिसके अन्तमें हमारा जन्म हुआ है और शामिलकर, निम्न लिखित विगत के अनुसार माफ़ी की है - हमारे श्रेष्ठ हुक्म के अनुसार अमल करना तथा विजयदेवसूरि और विजयसेनसूरि के जो वहाँ गुजरात में हैं- हाल की ख़बरदारी करना और भानुचंद्र तथा सिद्धिचंद्र जब वहाँ आ पहुँचें तब उनकी सार सँभालकर, वे जो कुछ काम कहें उसे पूरा कर देना, कि जिससे वे जीत करने वाले राज्यों को हमेशा (क़ायम) रखने की दुआ करने में दत्तचित्त रहें। और 'ऊना' परगने में एक वाड़ी है। उसमें उन्होंने अपने गुरु हीरजी (हीरविजयसूरिजी) की चरणपादुका स्थापित की है, उसे पुराने रिवाज के अनुसार 'कर' आदि से मुक्त समझ, उसके संबंध में कोई विघ्न नहीं डालना। लिखा (गया) ता. 14 शहेरीवर महीना, सन् इलाही 55. * वर्तमान में कुछ इतिहासकार ऐसा भी मानते हैं कि अकबर ने 'जिजआ कर' माफ नहीं किया था और गैरमुसलमानों पर जुल्म करता था एवं आ. हीरविजयसूरिजी भी उसमें कोई परिवर्तन ला नहीं सके थे। उनकी ये सब बातें पूर्व में दिये गये फ़रमान एवं इस फरमान में उल्लेखित अकबर द्वारा जजिआ कर की माफी के वर्णन से गलत साबित होती है। = 34
SR No.002459
Book TitleAkbar Pratibodhak Kaun
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherMission Jainatva Jagaran
Publication Year
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy