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________________ - = अकबर प्रतिबोधक कोन ?= शत्रुजय, गिरनार, सम्मेतशिखर आदि तीर्थों के समर्पण संबंधी हीरविजयसूरिजी को अकबर बादशाह का फरमान क्रमांक - 2 जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर जलालुद्दीन अकबर बादशाह बादशाह गाजी का फरमान हमायूं बादशाह का लड़का बाबर बादशाह का लड़का - अमरशेख मिर्जा का लड़का सुल्तान अबू सइद का लड़का सुल्तान मुहम्मदशाह का लड़का मीरशाह का लड़का - अमीर तैमूर साहिब किरान का लड़का सूबा, मालवा, अकबराबाद, लाहौर, मूलतान, अहमदाबाद, अजमेर, गुजरात, बंगाल तथा दूसरे हमारे कब्जे में मुल्क का हाल तथा इसके बाद मुत्सदी सूबा करोरी तथा जागीरदारों को मालूम हो कि हमारा कुल इरादा ये है कि सभी रइयत का मन राजी रहे, कारण कि उनका दिल परमेश्वर की एक बड़ी अमानत है। विशेषकर वृद्धावस्था में हमारा इरादा ये है कि हमारा भला चाहने वाली रइयत सुखी तथा राजी रहे। हमारा अन्तःकरण पवित्र हृदय वाले व्यक्ति, भक्त, सजनों की खोज में निरन्तर लगा रहता है। जिस कारण मेरे सुनने में आया है कि हीरविजयसूरि (हीरविजयसूरि) जैन श्वेताम्बर के आचार्य गुजरात में बन्दरो में परमेश्वर की भक्ति कर रहे हैं, उनको अपने पास बुलाया, उनसे मुलाकात की हमें बड़ी खुशी हुई। उन्होंने अपने वतन जाने की आज्ञा मांगते समय अर्ज किया गरीब परवर की हुक्म हो कि सिद्धाचलजी, गिरनारजी, तारंगाजी, केसरियानाथजी, आबूजी के पहाड़ जो गुजरात में हैं तथा राजगिरी के पांचों पहाड़, सम्मेतशिखरजी उर्फ पार्श्वनाथजी जो बंगाल के मुल्क में हैं वो तथा पहाड़ों के नीचे जो मंदिर, कोठी तथा भक्ति करने की सभी जगहें तथा तीर्थ की जगहें जहाँ जैन श्वेतांबर धर्म की अपने अधिकार में, मुल्क में, जहाँ-जहाँ भी हमारे कब्जे में हैं, पहाड़ तथा मंदिर के आसपास कोई भी आदमी जानवर न मारे और ये दूर देश से हमारे पास आये हैं इनकी अर्ज यथार्थ है। यद्यपि मुसलमानी धर्म के विरुद्ध लगता है फिर भी परमेश्वर को पहचानने वाले मनुष्यों का कायदा है कि किसी के धर्म में दखल न दे - 18
SR No.002459
Book TitleAkbar Pratibodhak Kaun
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherMission Jainatva Jagaran
Publication Year
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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