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________________ कलावतीकी कथा। कलावतीकी कथा। इस पद्यकी आराधनासे जलोदरादि भयंकर रोग नष्ट होते हैं । इसकी कथा इस प्रकार है। उज्जयिनीके राजाका नाम नृपशेखर है । उनका राज्य बहुत विस्तृत है। वे सब राजोंमें प्रतिष्ठित राजे गिने जाते हैं। उनकी रानीका नाम विमला है । वह सौभाग्यवती, पतिभक्ति-परायणा, विदुषी और सती है । इन सब गुणोंके साथ उसमें सुन्दरता भी अपूर्व है। उसके पुत्रका नाम राजहंस था । वह बुद्धिमान, पराक्रमी, विनयी और सुशील था । असमयमें राजहंसकी माताका स्वर्गवास हो गया । उसके बाद पट्टरानीका पद कमलाको मिला । कमलाके भी एक पत्र था । वह राजहंससे छोटा था । कमलाके हृदयमें अब यह चिन्ता हुई कि राजहंस बड़ा है, भाग्यशाली है, बलवान् है, राज्यके योग्य है और महाराज भी उसे बहुत प्यार करते हैं, तब इसके रहते हुए मेरे पुत्रको राज्य मिलना नितान्त असंभव है; और इसे राज्य मिलनेसे मेरे पुत्रकी और मेरी बड़ी दुर्दशा होगी । इसलिए किसी उपायसे इसे मार डालना चाहिए । परंतु प्रगटमें मारनेसे तो निन्दा और अपवादका भय है। तब सबसे अच्छा यह उपाय है कि इसे कोई ऐसा विष दिया जाय, जिससे इसका सब शरीर फूट निकले और धीरे धीरे यह अपने आप ही मर जाय । यह विचार कर रानीने, नृपशेखरके दिग्विजय करनेके लिए चले जाने पर राजहंसको भोजनके साथ जहर दे दिया। कुछ दिनों बाद धीरे धीरे राजहंस पर उस जहरका असर होने लगा। उसके शरीरमें भगंदर, गुल्म, पाण्डु (पीलिया ), प्रमेह आदि बहुतसे रोग पैदा हो गए । अकस्मात् राजहंस अपनी यह हालत देख कर
SR No.002454
Book TitleBhaktamar Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherJain Sahitya Prasarak karyalay
Publication Year1930
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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