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________________ आदर्श-शान द्वितीय रूण्ड ५२० छे, विच मां कई सामान्य ज्ञान वाले भाई बहिन भी बोल उठे, साहिब स्पर्श तो आठज होय छे, ता आप बार २ हेमचन्द्र भाई ने शुकहो छो ? ___ मुनि०-भाईयो अने बहिनो, हुँ तमने नी पूछतो अने श्रा तमारो काम पण नथी के आवी चर्चा में तमे भाग लो; हुँ तो हेमचंद्र भाई ने पूछ छु । ___हेमचंद्र-गुस्सा में आवी ने कहवा लाग्या के साहिब के सो आप आठ स्पर्श स्वीकार करी लो, नहीं तो प्रायश्चित लो। मुनि०-आठ स्पर्श हुँ नथी स्वीकार करतो, अने नथी लेतो प्रायश्चित । तमे कांई विचारोने बोलो तो ठीक छे, समझे न ? हेमचंद्र कहवा लाग्या के शुं मारवाड़ी साधु एवा हटीला होय छे के सत्य ने पण स्वीकार नथी करता? ___मुनिः-हुँ हटीलो नथी पण तमने पूछू छ के स्पर्श केटला ? अने उत्तर हमणे नहीं तो आवती काले विचारी ने आपजो । हम०-त्यारे ठीक हमणे तो आप व्याख्यान वांचो। ___ सभा ना लोग चकित थाई गया, कोई ने लाग्यो के हेमचंद्र ठीक कहे छे, पण मारवाड़ी मुनि मानता नथी; त्यारे कोई कहवा लाग्या कि मारवाड़ी साधु बहु भणेला छे, एटले आ प्रश्न में कोइ रहस्य हशे, त्यारे कई कहवा लाग्या कि आ हेमचंद्र भाई बधा साधुओं ने पइमाल करे छे पण आ मारवाड़ी साधुज एनी रूबर लेशे खरा। इत्यादि जेने जे गमे ते वातो करे, पर महिला समाज तो मुनिश्री ना व्याख्यान थी एटली बधी मोहित थई गई के व्याख्यान में जराए विक्षेप तेओने गमतोज नथी । . व्याख्यान समाप्त थयो एटले हेमचंद्र भाई गया गुरु महा
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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