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________________ डर कर कैसे छोड़ सकता हूँ। मैं तुम्हारे साथ युद्ध करने को तैयार हूँ ।" कृष्णने जरासंध से पूछा- हम तीन में से किसके साथ युद्ध करना चाहते हो ? जरासंध ने भीमसेन को पसन्द किया। दोनों का परस्पर युद्ध चलने लगा । वे बाहुपाश, उरोहस्त, पूर्णकुम्भ, अतिक्रान्त, मर्यादा, पृष्ठभंग, सम्पूर्ण मूर्छा, तृणपीड़, पूर्णयोग, मुष्टिक आदि विचित्र युद्ध करके अपना बल और कौशल दिखाने लगे । दोनों ही वीर युद्ध-कला में सुशिक्षित और बल में भी बराबर थे। ___ उन दोनों का युद्ध कार्तिक कृष्णा प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर चतुर्दशी की रात्रि तक चलता रहा । जरासंध थक गया था, वह युद्ध कुछ समय के लिए बंद करना चाहता था ।' तब श्रीकृष्ण ने भीम से कहा-हे कुन्तीनन्दन ! थका हुआ शत्रु पीड़ा नहीं दे सकता और बड़ी सुगमता से मारा जा सकता है । इसलिए इस समय तुम इससे बराबर युद्ध करो। श्रीकृष्ण के इस प्रकार कहने से भीम अधिक उत्तेजित हुए । उन्होंने झपटकर बड़े वेग से उस पर हमला किया । फिर वह उसे ऊपर उठा कर वेग से घुमाने लगा । सौ बार ऊपर उठाकर भीमसेन ने जरासंध को पृथ्वी पर पटका और घुटना मारकर उसकी पीठ की हड्डी तोड़ डाली । फिर गरजते हुए भीमसेन ने उसे पृथ्वी पर खूब रगड़ चुकने के पश्चात् बीच से उसकी टाँगें चीर डाली। तत्पश्चात् तीनों वीर जरासंध के पताकायुक्त रथ में बैठकर वहाँ पहुँचे जहाँ जरासंध ने राजाओं को कैद कर रखा था । उनको बन्धन से मुक्त कर श्रीकृष्ण, भीमसेन और अर्जुन उन राजाओं के साथ गिरिव्रज से बाहर निकले । श्रीकृष्ण ने जरासंध के लड़के सहदेव को मगध देश की राजगद्दी देकर राज्याभिषेक कर दिया । १- महाभारतः सभापर्व, अ०२२, श्लोक २७-३० । २- वही, अ० २३, श्लोक २ ।। ३- वही, अ० २३, श्लोक ४। ४- वही, अ० २३, श्लोक ५-२० । ५- वही, अ० २३, श्लोक २५-३० । ६- वहीं, अ० २३, श्लोक ३१-३५ । ७- महाभारतः सभापर्व, अ०, श्लोक ५-६ । ८- वही, अ० २४, श्लोक १०-१३ । ९- वही, श्लोक ४०-४३ । 68 • हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास
SR No.002435
Book TitleHindi Jain Sahitya Me Krishna Ka Swarup Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshva Prakashan
Publication Year1992
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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