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________________ उत्तर प्रदेश ( १७. श्री लखनौ तीर्थ श्री लखतो जोत मंदिनी मूलनायक श्री मूलनायक श्री गोमती नदी के किनारे यह प्रसिद्ध शहर है। यहां १४ मंदिर है। मंदिरों में सुंदर चित्रकला है। चुडीवाला गली, सानीटोला, फूलवाली गली, शाहादत गंज आदि में मंदिर है। मथुरा कंकालीटीला में से निकली प्राचीन भव्य दर्शनीय प्रतिमाएं केशरबाग में है। लखनौ से ५ कि.मी. म्युजियम है। उसमें जैनविभाग है। प्रथम जिनेश्वर प्रणमीये, जास सुंगधीरे काय, कल्पवृक्ष परे तास ईंद्राणी नयन जे, भुंग पर लपटाय। १ रोग उरग तुज नवि पडे, अमृत जे आस्वाद; तेहथी प्रतिहत तेहमानं कोई नविकरे, जगमा तमशंरेवाद। २ वगर धोई तुज निरमली, काया कंचनवान; नहि प्रस्वेद लगार तारे तुं तेहने, जे धरे तारुं ध्यान । ३ राग गयो तुज मन थकी, तेहमां चित्र न कोय; रुधिर आमिषथी राग गयो तुज जन्मथी, दुध सहोदर होय। ४ श्वासोश्वास कमल समो, तुज लोकोत्तर वाद; देखेन आहार निहार चरम चक्षु घणी, अहवा तुज अवदात । ५ चार अतिशय मूलथी, ओगणीश देवना कीध; कर्म खप्याथी अग्यार, चोत्रीश ओम अतिशया, समवायांगे प्रसिद्ध । ६ जिन उत्तम गुण गावतां, गुण आवे निज अंग; पद्मविजय कहे ओह समय प्रभु पालजो, जेम थाऊं अक्षय अभंग प्रथम । ७
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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