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________________ महाराष्ट्र विभाग 2) youn बणी जैन मंदिरजी ५५. श्री बणी तीर्थ मूलनायक श्री संभवनाथजी गुजरात के सापुतारा से लगभग ३१ कि.मी. दूर महाराष्ट्र में प्रवेश करते ही प्रथम तीर्थ वणी आता है। वणी नासिक जवाना रोड के उपर का गांव है। अति प्राचीन यह मंदिर है । ६ आरस की तथा १० पंच धातु की मूर्ति है। मूलनायक की ११ इंच की प्रतिमाजी है। इस मंदिर की प्रतिष्ठा संवत १९९८ में वैशाख सुदी ७ के दिन पू. आ. श्री मद् रामचंद्रसूरीश्वरजी म. के द्वारा करवाई गई थी। यहां गांव में १५० जैनों के घर हैं। विहार का गांव है। और पू. आ. श्री विजय प्रद्योतन सू. म. पू. आ. श्री विजयकुंदकुंद सू. म. पू. आ. श्री विजय महाबल सू. म., पू. आ. श्री विजय पुण्यलाभ सू. म. की दीक्षा भूमि है। यहां पास में पिपलगांव जैन मंदिरजी है। जो यहां से लगभग २४ कि.मी. है। उसके बाद दूसरी तरफ नासिक रोड पर जैन मंदिर है। जो यहां से ४१ कि.मी. है। ता. दिंदोरी (जि. नासिक) १ मूलनायक श्री संभवनाथजी FASTERNE sandagee Ag स 17 W स स श्र अ (६६७ 嚴齦嚴嚴嚴齦嚴嚴嚴齦嚴嚴嚴齦嚴嚴嚴齦嚴嚴嚴齦嚴齦獸獸獸
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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