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________________ महाराष्ट्र विभाग 一串串串串串串 业务 १. श्री नंदरबार तीर्थ (મુનિસુવ્રતસ - मूलनायक श्री अजितनाथजी 安 मूलनायक श्री अजितनाथजी यह शिखरबंद मंदिर सुरत नानपुरा वाले शाहजीवणजी ठाकरशी के पौत्र शाह डाया मंछराम ने सं. १९८२ जेठ सुदी ६ को बंधवा कर प्रतिष्ठा करवाई है। श्री संघ व्यवस्था करता है। आरस के ६ प्रतिमाजी है। जैनों के १८५ घर २००० की संख्या है। सुरत से १६२ कि.मी. है। Meet नंदरबार जैन मंदिरजी जि. धुलिया । सुरत भुसावल रेल्वे लाईन है। पिन ४२५४१२ पास के बलसाणा गांव में जमीन में से खोदकार्य करते ११वीं सदी ने प्रतिमाजी मिले हैं वहां नवीन जिनालय बलसाणातीर्थ पू. श्री गणिवर्यश्री विद्यानंदविजयजी म. के उपदेश से बन रहा है। MOM अमंगल MOV २. श्री डोंडाईचा तीर्थ मूलनायक श्री संभवनाथजी पहले घर मंदिर था बाद में शिखरबंधी बना है। प्रतिष्ठा सं. २०२७ वैशाख सुद को पू. आ. श्री माणिक्यसागर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस की ४ प्रतिमाएँ हैं । जैनों के ४० घर २५० की संख्या है। ता. सिंहखेडा जि. धुलिया पिन ४२५४०८ सुरत भुसावल रेल्वे लाईन में डोबाचा स्टेशन है। 台 VO (६०९ 串串串串串串串
SR No.002431
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size75 MB
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