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________________ गुजरात विभाग ९ महेसाणा जिला 辘辘辘願麗麗. मूलनायक श्री महावीर स्वामी सोलंकी वंश के समय से बना हुआ यह बहुत पूराना तीर्थं है । उपरकी मंझील पे सुलतान पार्श्वनाथ की भव्य प्रतिमा मौजूद है। इन्द्रनगरी से भी अच्छी इस नगरी में ज्ञाननगर ग्रंथ लिखा गया था । वि. स. १६४१ में सिद्धपुर मे पाँच मंदिर थे । एसा पारसनाथ चमत्कार पुस्तक में उल्लेख है । उस समय श्री पार्श्वनाथ मूलनायक थे । २४ देवकुलिका से बना हुआ शिखरबंधी सिद्धविहार उत्तुंग जिनालय श्री सिद्धराजने सं. १४२६ में बनवाया था जिर्णोद्धार वि.स. २४८५ वि. २०१५ वैशाख सुद६ के दिन हुआ, पू.आ. श्री विजयरामचंद्रसूरिजी म. की निश्रा में अमदावाद कमिटि हस्तक प्रतिष्ठा हुई। मंदिर की देखभाल आनंदजी कलयाणजी की पेढी करती है । यह तीर्थ रेल्वे और बस मार्ग से गुजरात नगरो से जुड़ा हुआ है। के १७. तारंगाजी तीर्थ Csc तारंगा तीर्थ जैन देरासर दृश्य ( १९५ 願麗麗麗麗聪 ዉ
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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