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________________ से एगलिओ आयहेउं वा मायहेउं वा अगारह वा परिवारहेउवा नायर्ग वा सहवासयं वाणिस्साए | अनुवा अणुगामिए अदुवा उक्चरए अदुवा पडिपधिए अिदुवा संधिछेदए] अदुवा गठिछेदए अदुवा उरमिए भिटुवा सौवरिए] अदुवा बागुरिए अदुवा साष्ठणिए अदुवा मच्छिए अढुवा गोधाए अिदुवा गौवालए] अदुवा सोणइए अदुवा सौवाणिटोलिए। से एगराडा मी माणुगामियभाष पडिसंधाय तमेव अणुगामिथाणुगानिय हृता ईसा मेता ढुंपत्ता विलुपत्ता उद्दबत्ता आहएं आहारेति इति से महया पावहिं कम्महिं अत्तार्ण उवक्रवा इत्ता भवति / / से एगतिभी उक्चरमावं पडिसंधाय तमेव उवचरियं हसाछेत्ता भेलालुंपत्ता विनुपझ्झा उद्दबाता आहारं आहारेति इतिसे महला पावे हि कम्महिं अत्ताणं उसपरवाता भवप्तिा से एगइओ पाडिपडियभावं पडिसंधाय तमेव पउिपहेठिच्चाहताछत्ता भेत्ता लुंपत्ता विलुपत्ता उद्दवइत्ता - आहार महारैति, इति से महया पावहिं कम्मैहिं असाणं उवक्रवाइत्ता भवतिय [से एगतिमी संधिछेद्गभाव परिसंधीय | समेव संधिछेत्ता मेसा जाव इति से महया पावहिं कम्मेहि अत्ताण उवकखाता भवति ] से एगलिओ गंठिछेदगभाव पछिसंधाय समेष गठि छेसा भेला जाब इति से महता पावे हि कम्महि भत्ताणं उबक्रवाता भवतिगासे एप्रतिमओ उरम्भियभावं | पडिसंधाय
SR No.002426
Book TitleSutrakritanga Churni
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages284
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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