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________________ वितिय-चउत्थाअवत्या लीसं पियाईसिजहा मणुस्सा तधा (en) लेसिपि तेर किरियाठाणाईमलीलि अरवाताईतं जहा- . -- अस्थादडे जाव इरियावहियाए॥ --- ----------- पढमे दंडसमादाणे अट्ठार्दडवलिए सि अाहिज्जइसे जहाणामए केइ पुरिसे आतहेउ वा णातहउँ वाअगारहेउवा -परिवारहठ वा मित्त हे उंना मागहठंबा भूत है उंबा जकरव हे वाले दंड लसया वरहि पाणेहि सयमेव जिसिरति अण्णोण वि णिसिरा -वेलि अण्णं पि हिसिलं सामणुजाणति,एवं खलु तम्स तप्पत्तियं सावनं ति आहिज्जलि, पतमे दंडसमादाणे भट्ठादंड वत्तिए ति माहिए। सत्य पढमे दंउसमादाणे अट्ठादाणे आहिज्जति सि आरव्यायत इत्यर्थता जहाणामए केयि पुरिसे आतहेतुं वा आत हेतुंति आत्मार्थम् | प्रामहेतुं ति पुत्र-दारादीणं अद्वाए। भारहेतु ति घरस्स खर्भ इट्टकादि का करोति / परियारो चि दाम-भलग चार-भ-आस-हत्थिमादि परिवारी, अहवा-घरोव वाडिमाद परिवारं करोति / एवमादी अढाए दंड सस- शावरहिं पाणेहि सयमेट -णिमिरति लस्सैलता व अण्णे अहिउंजलि, अण्णे वाहेति,अण्णे मसादीणं अट्ठाए उदवैइ, थातरं वि अण्णे बाहेति अ अण्णे छिदृति अण्णे लच्छति अण्णे आहारहेतुं खाति वा,एवं अण्णेहि वि कारवेंति कीरंत पि सामणुजाणातियोगनिक -करणनिकण विभासा एवं खलु तरस तप्प लियं तत्प्रतिकं सावधाकम पदमे दंडसमा दाणे 1 // महावरे दोसो दंड-समादाणे अणहादंडवत्ति ते ति आहिज्जति से जहाणामते के
SR No.002426
Book TitleSutrakritanga Churni
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages284
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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