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________________ पृष्ठ १०८ १०९ १११ ११२ ११३ . १४५ ५५ आठे कर्मनी उत्तर प्रकृतिओमो उकृस्ट अबाधाकाळ ५६ जीवना ५६३ भेद पैकी जे जे क्षेत्रादिमां जेटला भेद लाभे तेनुं संख्यासूचक यंत्र ५७ ६२ मार्गणा पैकी चार गति आश्री जीवना ५६३ भेदोनुं विवरण ( यंत्र) ५८ ६२ मार्गणाए जीवना ५६३ भेदोनुं विवरण (यंत्र ) ५९ ८१ वोलनी गतागतिनुं यंत्र ६. २५ स्थाने २३ संपदानी प्राप्ति आश्री यंत्र ६१ सिद्वार ( समयसिद्धि विगेरेनी संख्या) ... ६२ छठा कर्मग्रंथर्नु संक्षिप्त विवरण मूळ प्रकृति आश्री बंध उदय सत्तास्थान ने संवेध जीवरथाने मूळ प्रकृतिना बंध उदय सत्तस्थान ने संवेध" उत्तर प्रकृति आश्री बंध, उक्य सत्तास्थान ने तेनो संवेध ज्ञानावरणीय, अंतराय, दर्शनावरणीय कर्म वेदनीय कर्म आयुष्य कर्म गोत्रम - मोहनी कर्म नामकर्म चौद जीवस्थान आश्री, उत्तर प्रकृतिना वंध, उदय, समा स्थान ने तेनो मवेध ज्ञानावग्णीय ने अंतराय कर्म दर्शनावरणीय, वेदनीय ने गोत्रकर्म । आथुकर्म मोहनीय कर्म नाम कर्म चौद गुणस्थान आश्री उत्तर प्रकृतिना बंध, उदय. सत्ता स्थान अने तेनो संवेध ज्ञानावरणीय, अंतगय, दर्शनावरणीय कर्म वेदनीय ने गोत्र कर्म आयकर्म ... मोहनीय कर्म - नामकर्म ... . गति मार्गणाए बंध, उदय, सत्तास्थान ने तेनो संवैध । इंद्रिय मार्गणाए बंध, उदय, सत्तास्थान ने तेनो संवेध ज्यां उदय त्यां उदीरणा-तेमा ४१ प्रकृति संबंधी अपवाद चौंद गुणस्थाने बंध प्रकृतिनी संख्या .... . उपशम श्रेणिर्नु स्वरूप सिद्धिना सुखर्नु संक्षिप्त वर्णन ६३ बासठ भांगणाए मोहनीय कर्मना बंध, उदय, सत्तास्थान, तेना भंग, पदो अन पदबूंद संबंधी यंत्र ६४ वासठ मार्गणागत गुणस्थानोमा मोहनीय कर्मना बंध, उदय, सत्तास्थान तेना भंग, पदो ने पदवृंद संबंधी यंत्र १६८-६९ १६९ १८० १८१ - २२८
SR No.002417
Book TitleYantrapurvak Karmadi Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mahila Mandal
PublisherJain Mahila Mandal
Publication Year1932
Total Pages312
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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