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________________ [१८०] चौदमे गुणस्थाने ४ भंग. ( त्यां बंधनो अभाव छे.) १ असातानो उदय, बन्नेनी सत्ता. १ सात्तानो उदय, बन्नेनी सत्ता. आ बे भंग द्विचरम समय सुधी अने द्विचरम समये जो सातानो क्षय करे तो३ असातानो उदय, असातानी सत्ता. अने असातानो क्षय करे तो४ सातानो उदय, सातानी सत्ता. पछी सर्वथा क्षय. गोत्र कर्म पहेले गुणस्थाने ५ भंग.~ १ नीचनो बंध, नीचनो उदय, नीचनी सत्ता. आ भंग तेजो वायुमां तथा त्यांथी नीकळ्या पछी थोडा काळ सुधी होय. २ नीचनो बंध, नीचनो उदय, बन्नेनी सत्ता. ३ नीचनो बंध, उंचनो उदय, बन्नेनी सत्ता. ४ उंचनो बंध, नीचनो उदय, बन्नेनी सत्ता. ५ उंचनो बंध, उंचनो उदय, बन्नेनी सत्ता. बीजे गुणस्थाने पाछला ४ भंग. (तेजो वायुने आ गुणस्थाननो अभाव होवाथी). श्रीजे, चोथे, पांचमे गुणस्थाने चोथो अने पांचमो ए बे भंग. केमके तेमने नीच गोत्रना बंधनो अभाव छे. कोइ आचार्य पांचमे गुणस्थाने पांचमो एक ज विकल्प कहे छे. ६-७-८-९-१० मे गुणस्थाने केवळ पांचमो भंग. ११-१२-१३ मे बंधाभाव होवाथी छटो विकल्प. ६ उच्चनो उदय, बनेनी सत्ता. १४ मे गुणस्थाने उपरनो विकल्प द्विचरम समय सुधी. द्विचरमे सत्तामाथी नीचनो क्षय थाय तेथी त्यां ७ मो विकल्प ७ उच्चनो उदय, उच्चनी सत्ता. आयु कर्मना भंग २८. (५ नारकी आश्री, ९ तिर्यच आश्री, ९ मनुष्य आश्री, ५ देव आश्री. आर्नु विव रण अगाउ आवेल छे.) मिथ्यात्वी चारे गतिमा होवाथी ते गुणस्थाने विकल्प २८. बीजे गुणस्थाने विकल्प २६. सासादने रहेलो मनुष्य तथा तियच नरकायु न बांधे तेथी आयुबंध काळे ते वे गतिमां बे भंग ओछा थाय.
SR No.002417
Book TitleYantrapurvak Karmadi Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mahila Mandal
PublisherJain Mahila Mandal
Publication Year1932
Total Pages312
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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