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________________ * आसुरी व्यक्ति की रुग्णताएं * स्वभाव यानी परमात्मा। स्वभाव मिथ्या धारणाओं में नष्ट हो | जोर से कहना और इनकार करना, कोई कुछ भी कह रहा हो। जाएगा, खो जाएगा। वह हर चीज का खंडन करने लगा। और बड़ा मुश्किल है। आप और मंद हो गई है बुद्धि जिसकी...। कहें. यह चांद संदर है। मढ आदमी भी खडा होकर कह दे कि और इस तरह की बातें जिस पर बहुत प्रभाव करेंगी, उसकी सिद्ध करो! कैसे सिद्ध करिएगा कि चांद सुंदर है? क्या उपाय है? बुद्धि धीरे-धीरे मंद हो जाएगी। मंद होने का यह मतलब नहीं है कि | कोई उपाय नहीं है। अब तक दुनिया में कोई सिद्ध नहीं कर सका उसका तर्क क्षीण हो जाएगा। अक्सर तो आसुरी संपदा वाला | कि चांद सुंदर है। वह तो हम सुन लेते हैं चुपचाप, लोग कहते हैं। व्यक्ति बड़ा तार्किक होता है, बड़ी प्रखर उसके पास तर्क की | अगर आप न सुनें, बस कठिन हो गया काम। व्यवस्था होती है। उस आदमी ने सबको गलत सिद्ध करना शुरू कर दिया। लेकिन फिर भी कृष्ण कहते हैं, मंद हो गई है बुद्धि जिसकी...। | | क्योंकि जो भी कुछ कहे, ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि तर्क को हमने इस देश में कभी बुद्धि नहीं माना। तर्क | | मंत्र सीधा था। सिर्फ इनकार करना है तुझे; और तू कुछ सिद्ध करने को हमने बच्चों का खेल माना है। बुद्धि से तो हमारा प्रयोजन उस | की फिक्र ही मत करना। जो दूसरा कह रहा हो, उसको भर कहना क्षमता से है, जो जीवन को आर-पार देख लेती है; जो जीवन के कि सिद्ध करो। छिपे हुए रहस्य-परतों में उतर जाती है; जो जीवन के अंतःस्तल को ___न सौंदर्य सिद्ध होता है, न सत्य सिद्ध होता है, न परमात्मा सिद्ध स्पर्श कर लेती है, उसे हम बुद्धि कहते हैं। | होता है, सिद्ध तो कुछ किया नहीं जा सकता। लेकिन लोग समझे ___ आधुनिक युग में जिसे हम बुद्धि कहते हैं, वह केवल तर्क की | | कि यह आदमी महान विद्वान हो गया है। इसकी बुद्धि बड़ी प्रखर है। व्यवस्था है। अगर कोई व्यक्ति काफी तर्क कर सकता है, आर्म्य | | हम इस युग में इसी तरह के बुद्धुओं को बुद्धिमान कहते हैं। कर सकता है, विवाद कर सकता है, तो हम कहते हैं, बड़ा कष्ण उनको बद्धिमान नहीं कहते। कष्ण उसको बद्धिमान कहते हैं. बुद्धिमान है। . | जिसने अपनी चेतना-ऊर्जा में, जीवन के परम रहस्य में प्रवेश का तुर्गनेव ने एक छोटी कहानी लिखी है। उसने लिखा है, एक | | मार्ग खोज लिया है। जिसने अपनी चेतना को मार्ग बना लिया है, गांव में एक मूढ़ आदमी था, निपट गंवार था, और सारा गांव उस | वही बुद्धिमान है। पर हंसता था। उस गांव में एक फकीर का आगमन हुआ। तो उस | __ मिथ्या धारणाओं का अवलंबन करके नष्ट हो गया स्वभाव मूढ़ आदमी ने फकीर से कहा कि मुझ पर सारा गांव हंसता है, | | जिनका, मंद है बुद्धि जिनकी, ऐसे व्यक्तियों को कृष्ण ने कहा कि लोग मुझे मूर्ख समझते हैं। मुझे कुछ रास्ता बताओ। थोड़ी बुद्धि वे आसुरी संपदा वाले हैं। । फकीर ने कहा, यह तो जरा कठिन काम है तझे बद्धि इसकी अपने भीतर तलाश करना। और जहां भी आसरी संपदा देना, लेकिन तुझे एक तरकीब बता देता हूं, जिससे तू बुद्धिमान | का थोड़ा-सा भी झुकाव मिले, उसे उखाड़कर फेंक देना। हो जाएगा। उसने कहा, वही दे दो बस, और मुझे कुछ चाहिए ___ मजे की बात यह है कि जैसे कोई लान लगाए, दूब लगाए घर में, नहीं। तो उस फकीर ने उसके कान में कुछ मंत्र दिया; और कहा, | | तो उसमें व्यर्थ का कूड़ा-कचरा भी पैदा होना शुरू होता है। उसे बस, तू इसका उपयोग कर। उखाड़-उखाड़कर फेंकना पड़ता है। मजे की बात यह है कि दूब एक सप्ताह के भीतर गांव में ही नहीं, गांव के आस-पास, | | लगाते हैं आप, कूड़ा-कचरा अपने आप आता है। और अगर दूब दूर-दूर तक, राजधानी तक खबर पहुंच गई कि वह आदमी बड़ा को आप न बचाएं. तो वह मर जाएगी। और अगर कडे-कचरे को बुद्धिमान है। फकीर ने उससे क्या कहा? फकीर ने उससे कहा कि | न फेंकें, तो वह बिना मेहनत किए बढ़ता जाएगा। धीरे-धीरे वह सारी एक छोटा-सा सूत्र याद रख! अगर कहीं कोई कह रहा हो कि | दूब पर छा जाएगा, दूब को खा जाएगा। कूड़ा-कचरा ही रह जाएगा। बाइबिल महान पुस्तक है; तो तू कहना, कौन कहता है, बाइबिल | ___ आसुरी संपदा बड़ी सरलता से बढ़ती है। बढ़ने का कारण है। महान पुस्तक है! दो कौड़ी की है, उसमें कुछ भी नहीं है। अगर | | जैसे पानी नीचे की तरफ बहता है। ऊपर चढ़ाना हो, तो पंप करने कोई कहे, यह चित्र बड़ा सुंदर है; तो तू कहना, क्या है इसमें, रंगों की व्यवस्था बिठानी पड़ती है, मेहनत करनी पड़ती है। नीचे अपने का पोतना; सौंदर्य कहीं भी नहीं है। कहां है? दिखाओ मुझे सौंदर्य! आप जाता है। | 347
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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