SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 350
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ *गीता दर्शन भाग-7 * अखबार। वहां कोई किताब नहीं थी, वह जो रोज का अखबार है! | | बचकाना लगता है, लेकिन जटिल है, और अब तक कुछ तय बस, दो ही किताबें वह पढ़ता था। नहीं हो पाया कि पहले अंडा या पहले मुर्गी। क्योंकि कुछ भी तय ___ अखबार इतिहास बन जाएगा। अगर जीसस के समय कोई करें, तो गलत मालूम होता है। कहें कि मुर्गी पहले होती है, तो अखबार होता, तो उसने जीसस की खबर छापी भी नहीं होती। गलत मालूम पड़ता है, क्योंकि मुर्गी बिना अंडे के कैसे हो किसी किताब में जीसस का कोई उल्लेख नहीं है। सिवाय जीसस | जाएगी! कहें कि अंडा पहले होता है, तो गलत मालूम होता है, के शिष्यों ने जो थोड़ा-सा लिखा है, बस वही बाइबिल, अन्यथा क्योंकि अंडा हो कैसे जाएगा जब तक मुर्गी उसे रखेगी नहीं! तो कोई उल्लेख नहीं है। क्या करें? प्रश्न में कहीं कोई भूल है, इसलिए उत्तर नहीं मिल पाता महावीर का इतिहास की किताबों में कोई उल्लेख नहीं है। वह | है। और जब प्रश्न गलत हो, तो सही उत्तर खोजना बिलकुल जो महान घटना है, इतिहास के जैसे बाहर घटती है। इतिहास असंभव है। कहां गलती है? उसकी चिंता ही नहीं लेता। क्योंकि वह इतनी सौम्य है, उसकी कोई मुर्गी और अंडा को दो मानने में गलती है। अंडा मुर्गी की एक चोट नहीं पड़ती। न किसी की हत्या होती है, न गोली चलती है, न | अवस्था है, मुर्गी अंडे की दूसरी अवस्था है। दोनों दो चीजें नहीं हैं। हड़ताल होती है, न घेराव होता है। कोई उपद्रव होता ही नहीं उसके अंडा ही फैलकर मुर्गी होता है, मुर्गी फिर सिकुड़कर अंडा होती है। आस-पास, इसलिए वह घटना चुपचाप घट जाती है। लेकिन | बीज से वृक्ष होता है, वृक्ष में फिर बीज लग जाते हैं; तो बीज उसके परिणाम सदियों तक गूंजते रहते हैं। और वृक्ष दो चीजें हैं नहीं। बीज का फैलाव वृक्ष है, वृक्ष का फिर इतिहास कचरा है। से सिकुड़ाव बीज है। एक रिदम है। चीजें फैलती हैं और सिकुड़ती अमेरिकी अरबपति हेनरी फोर्ड कभी-कभी बड़ी कीमत की बातें | | हैं। बीज सिकुड़ा हुआ वृक्ष है, वृक्ष फैला हुआ बीज है। और जैसे कहता था। कभी-कभी छोटे-छोटे वचन, लेकिन बडी कीमत की दिन के बाद रात है और रात के बाद दिन है. ऐसा फैलाव के बाद बातें कहता था। उसका एक बहुत प्रसिद्ध छोटा-सा वचन है। उसने | | सिकुड़ाव है, सिकुड़ाव के बाद फैलाव है। जन्म के बाद मृत्यु है, कहा है, हिस्ट्री इज़ बंक-बिलकुल कूड़ा-कर्कट है। और जो भी | मृत्यु के बाद जन्म है। ये दो घटनाएं नहीं हैं; एक वर्तुल है। महत्वपूर्ण है, वह इतिहास के बाहर है, वह समय के बाहर घट रहा तो मुर्गी और अंडा दो चीजें नहीं हैं; अंडा छिपी हुई मुर्गी है मुर्गी है; वह चुपचाप घटित हो रहा है। प्रकट हो गया अंडा है। और दोनों एक साथ हैं। इसलिए इस प्रश्न तो ऐसा नहीं है कि ऐसे व्यक्ति से क्रांति घटित नहीं होती, ऐसे | | को अगर किसी ने सोचना शुरू किया कि कौन पहले, तो वह पागल ही व्यक्ति से घटित होती है, लेकिन वह मौन क्रांति है। भला हो जाए सोचते-सोचते, वह इसका उत्तर नहीं पा सकेगा। और ऐसे बहुत-से प्रश्न हैं। यह प्रश्न भी वैसा ही है कि ये जो लक्षण हैं, इनके साधने से दिव्यता सधती है; या दिव्यता सध जाए, तीसरा प्रश्नः गीता में दैवी संपदा को प्राप्त व्यक्ति | तो ये लक्षण फूल की भांति खिल जाते हैं। के लक्षण या गुण बताए गए हैं। क्या उन्हें ये दो बातें अलग नहीं हैं। लक्षण सध जाएं, तो दिव्यता सध गई, अलग-अलग साधने से दिव्यता उपलब्ध होती है? क्योंकि उन लक्षणों में दिव्यता छिपी है। दिव्यता सध जाए, तो या दिव्यता की उपलब्धि पर उसके फूल की तरह ये | लक्षण आ गए, क्योंकि दिव्यता बिना उन लक्षणों के आ नहीं गुण चले आते हैं? | सकती। लक्षण और दिव्यता दो बातें नहीं हैं। लक्षण दिव्यता के अनिवार्य अंग हैं। तो आप कहीं से भी यात्रा करें। आप मुर्गी खरीद लाएं, तो घर टोनों ही बातें एक साथ सच हैं। दोनों बातें एक साथ में अंडे आ जाएंगे। आप अंडा ले आएं, तो मुर्गी बन जाएगी। पर | घटती हैं, युगपत। बैठकर सोचते ही मत रहें कि क्या लाएं। कुछ भी ले आएं। दो में प्रश्न ऐसा ही है, जैसे कोई पूछे कि मुर्गी पहले होती से कुछ भी लाएं। कहीं ऐसा न हो कि आप सोचते ही रहें, मर्गी भी है कि अंडा! और सदियों से दार्शनिक विवाद करते रहे हैं। सवाल खो जाए, अंडा भी खो जाए। आप लक्षण साध लें, आप पाएंगे, 322
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy