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________________ * दृढ़ वैराग्य और शरणागति * अतीत के घाव अभी हरे हैं। कैसे वर्तमान में जीएंगे? आपकी जिंदगी में कोई कांटे नहीं रह जाएंगे। कल किसी ने आपको गाली दी थी, वह आदमी आपको आज तब कल फिर कोई गाली आपको देगा—जिंदगी के रास्ते पर फिर सड़क पर दिखाई पड़ गया है। आपकी आंखें खाली नहीं हैं; बहुत कांटे हैं और जब कल आपको दुबारा कोई गाली दे, तो गाली से भरी हैं। आपका मन खाली नहीं है; कल की गाली अभी | आपका यह सचेतन गाली में लौटने का अनुभव सहयोगी होगा। तब भी अनुगूंज कर रही है; अभी भी गूंज रही है। और उस आदमी को | आप अतीत बनने ही मत देना; तब आप वहीं देख लेना। तब आप देखते ही गाली फिर से सजग हो जाएगी। और इस आदमी को आप | वहीं खड़े हो जाना शांत और इस घटना को ऐसे ही देखना, जैसे यह वैसा नहीं देखेंगे, जैसा वह अभी है। वैसा देखेंगे, जैसा वह कल | कोई स्मृति का एक खेल हो। वस्तुतः न घटती हो, सिर्फ मन में एक गाली देते समय था। कल्पना हो रही हो। तो फिर आपका अतीत निर्मित ही न होगा। और हो सकता है, वह आदमी क्षमा मांगने आ रहा हो। और हो | - अतीत के साथ दो काम करने हैं। जो बंधा हुआ अतीत है, सकता है, वह भूल ही चुका हो गाली। हो सकता है, उसने जिसको हम इस मुल्क में कर्म और संस्कार कहते रहे हैं, उसकी पश्चात्ताप कर लिया हो, अपने को दंड दे लिया हो। लेकिन यह निर्जरा करनी है, उसको झाड़ देना है। और दूसरा काम यह करना नया आदमी आपको दिखाई नहीं पड़ेगा। आपके पास आंखें पुरानी | | है कि अब आगे अतीत निर्मित न हो पाए। तो रोज-रोज झाड़ देना हैं। आप आज देख ही नहीं रहे हैं; कल से देख रहे हैं। | है। जैसे ही धूल पड़े, उसी समय झाड़ देना है। इकट्ठा करने का और हमारा सारा देखना ऐसा है; हमारा सारा सुनना ऐसा है। | प्रयोजन भी क्या है? जिससे कल छूट ही जाना है, उसे आज बांध हम होते ही यहां हैं न के बराबर, निन्यानबे प्रतिशत अतीत बीच में | | लेने की जरूरत क्या है? और जो कल बोझ बन जाएगा, उसे हम खड़ा होता है। उसके कारण वर्तमान से वंचित हो जाते हैं। आज संग्रह क्यों करें? ' तो जो कल मैंने आपको कहा अतीत में लौटने के प्रयोग, वे | | तो जो संगृहीत है, उससे छूटना है। और जो संगृहीत हो सकता अतीत से छंटने के प्रयोग हैं। लौटकर वहां टिक नहीं जाना है। है. उसको संगहीत नहीं करना है। पिछले संस्कार को पोंछना है: लौटकर वहां रुक नहीं जाना है। लौटना है सिर्फ इसलिए, ताकि | नए संस्कार को निर्मित नहीं होने देना है। तब आप दर्पण की तरह अतीत को आप सचेतन रूप से जी लें। इस बात को थोड़ा खयाल स्वच्छ हो जाएंगे। तब जगत आपको वैसा ही दिखाई पड़ेगा जैसा से समझ लें। है। तब आप उसको बिगाड़ेंगे नहीं; तब आप उसमें जोड़ेंगे और अतीत में आप रहे हैं, लेकिन तब आप अचेतन थे। कल इस घटाएंगे नहीं। और अगर ऐसी दर्पण जैसी स्थिति मिल जाए, तब आदमी ने गाली दी थी, तब आपके पास होश नहीं था। तब गाली | जो हम जानते हैं, वह संसार नहीं है, वह परमात्मा है। तब जो हम इतने जोर से चोट की थी, आप इतने धुएं से भर गए थे, क्रोध इतना जानते हैं, वह मूल है, उत्स है, उदगम है। उसे जानते ही जीवन के उबल आया था कि आप देख नहीं सके क्या हुआ। उस क्रोध की | | सारे दुख तिरोहित हो जाते हैं। मूर्छा में आप सचेतन रूप से अनुभव से गुजर नहीं सके। इन दोनों बातों में विरोध नहीं है। एक है लक्ष्य, वर्तमान में जीना। लेकिन अब तो कल बीत गया। कल की गाली भी गई, आदमी | | और दूसरी है विधि, अतीत में उतरना, जिससे यह लक्ष्य पूरा हो भी गया, कल भी गया। अब आप बैठकर चुपचाप कल की घटना | | सकता है। लेकिन कठिन हमें मालूम पड़ता है। में फिर से उतर सकते हैं। और अब आप सचेतन रूप से, | सुना है मैंने कि मुल्ला नसरुद्दीन को गाली देने की सहज आदत कांशसली उतर सकते हैं। जो कल संभव नहीं हुआ, वह आज | | थी, अकारण भी, निर्जीव वस्तुओं को भी। अपनी बैलगाड़ी को संभव हो सकता है। | हांककर ले जाता खेत तक, तो बैलों को भी गाली देता। और आप चकित हो जाएंगे। अगर आप होशपूर्वक कल की | ___ गांव में एक फकीर आया हुआ था और नसरुद्दीन को उसने रास्ते घटना में गए, तो आप अचानक पाएंगे, उस घटना का दंश समाप्त | | पर बैलों को गाली देते देखा। उसने नसरुद्दीन को समझाया। और हो गया। उस घटना में कोई चोट न रही, उस गाली में अब कोई | बात तो सीधी थी; समझने का कोई खास कारण भी न था। बैलों कांटे न रहे। और अगर यह स्मृति में हो सकता है, तो इससे एक को गाली देने का कोई अर्थ नहीं है। और उनसे दूर के कामुक रिश्ते अनुभव मिलेगा कि अगर आप यह वस्तुतः भी कर सकें, तो जोड़ना-मां-बहन, उनकी मां और बहन से संबंध जोड़ना निपट 185
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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