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________________ गीता दर्शन भाग-3 कांट, साधारण प्रोफेसर था, चांसलर होने का निर्णय किया प्रश्नः भगवान श्री, इस श्लोक में एक शब्द आया है, विश्वविद्यालय की एकेडेमिक कौंसिल ने! तो नौकर भूल गया जितात्मनः, जिस पुरुष ने अपनी आत्मा जीत ली। यह। सोचा था कि भूकंप के लिए मना किया है। मगर यह तो बात आत्मा के साथ जीतना शब्द का कैसा अर्थ होगा, इसे इतनी खुशी की, इतने सुख की है, इसकी तो खबर दे देनी चाहिए। स्पष्ट करें। गया और जाकर इमेनुअल कांट को हिलाया और उठाया, कहा कि शुभकामनाएं करता हूं! आपको विश्वविद्यालय ने कुलपति चुना। इमेनुअल कांट ने आंख खोली, एक चांटा नौकर को मारा सने स्वयं को जीता, स्वयं की आत्मा जीती, इसका और वापस चादर ओढ़कर सो गया। IUI क्या अर्थ होगा? नौकर तो बहुत हैरान हुआ। बड़ा हैरान हुआ! यह क्या हुआ? दो अर्थ खयाल में लेने जैसे हैं। एक तो, हम स्वयं को भूकंप को मना किया था; यह तो बात ही कुछ और है! भी नहीं जीत पाए हैं और सब जीतने की योजनाएं बनाते हैं। स्वयं सुबह इमेनुअल कांट ने उठकर पहला तार यूनिवर्सिटी आफिस | को भी नहीं जीत पाए! और जो व्यक्ति स्वयं को जीते बिना और सारी . को किया कि मुझे क्षमा करें, इस पद को मैं स्वीकार न कर सकूँगा, | जीत की योजना बनाता है, उससे ज्यादा विक्षिप्त और कौन होगा! क्योंकि इस पद के कारण मेरे नौकर को भी भ्रांति हुई और कहीं मुझे | अगर जीत की ही यात्रा करनी है, तो पहले स्वयं की कर लेनी न हो जाए। इसमें मैं नहीं पडूंगा। इस पद के कारण मेरी कल की | चाहिए। स्वयं को न जीतने का क्या अर्थ है? नींद खराब हुई, अब और आगे की नींद मैं खराब न करूंगा। इससे अगर मैं आपसे कहूं कि आज आप क्रोध मत करना, तो क्य झंझटें आएंगी। इससे झंझटों की शुरुआत हो गई। वर्षों से मैं कभी | | आपकी स्वयं पर इतनी शक्ति है कि आज आप क्रोध न करें? यह दस और चार के बीच उठा नहीं! तो बड़ी बात हो गई। अगर मैं आपसे इतना ही कहूं कि पांच मिनट सुबह नौकर से कहा कि तू बिलकुल पागल है! नौकर ने कहा, | | आंख बंद करके बैठ जाएं और राम शब्द को भीतर न आने दें, तब लेकिन आपने तो कहा था, भूकंप आए तो नहीं उठाना है! कांट ने | | आपको पता चल जाएगा कि अपने ऊपर कितनी मालकियत है! उसे कहा कि दुख के भी भूकंप होते हैं, सुख के भी भूकंप होते हैं। __आंख बंद कर लें और मैं कहता हूं, पांच मिनट राम शब्द आपके और जो सुख के भूकंप स्वीकार कर लेता है, उसी के घर दुख के भीतर न आने पाए। तो इतनी भी ताकत नहीं है कि राम शब्द को भूकंप आते हैं; अन्यथा कोई कारण नहीं है। शुरुआत हो गई थी। | आप भीतर आने से रोक सकें। इस पांच मिनट में इतना आएगा, अगर मैं कल खुश होकर तुझे धन्यवाद दे देता, तो मैं गया था। जितना जिंदगी में कभी नहीं आया था! एकदम राम-जप शुरू हो बस, मैंने फिर निमंत्रण दे दिया, दरवाजे खोल दिए दुख के लिए। जाएगा! राम-जप का जो फायदा होगा, वह होगा। लेकिन स्वयं उस नौकर ने कहा, लेकिन मुझे आपने चांटा क्यों मारा? कांट की हार सिद्ध हो जाएगी। स्वयं पर हमारा रत्तीभर भी वश नहीं है। ने कहा कि तू समझता होगा, मिठाई बांदूंगा! तो मैंने तुझे खबर दी तो जिसने स्वयं की आत्मा जीती! यहां आत्मा से एक अर्थ तो कि जिसे तू सुख समझकर आ रहा है, उससे भी आखिर में दुख ही स्वयं की सत्ता; स्वयं के होने पर जिसकी मालकियत है। आने वाला है, इसलिए मैंने कहा, चांटा अभी ही मार दूं। तुझे भी जांच करें, तो अपनी गुलामी पता चलेगी कि हम कैसे कमजोर पता होना चाहिए कि सुख सदा दुख को ही लाता है पीछे, हैं! कैसे कमजोर हैं! हमारी कमजोरी सब तरफ लिखी हुई है। हर देर-अबेर। द्वार-दरवाजे पर, हर इंद्रिय पर, हर वृत्ति पर, हर वासना पर, हर जागें। सुख को समझने की कोशिश करें। वह जैसे-जैसे समझ विचार पर हमारी कमजोरी और गुलामी लिखी हुई है। अपने को बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे संतुलन, तटस्थता, उपेक्षा आती जाएगी। धोखा देने से कुछ न होगा। . आप पार खड़े हो जाएंगे। उस पार खड़े व्यक्ति को कह सकते हैं | । तो एक तो स्वयं को जीतने का स्मरण दिलाया है। आत्मा का हम कि वह मंदिर बन गया परम सत्ता का। परम सत्ता उसके भीतर एक अर्थ तो है, स्वयं। और आत्मा जीती जिसने, इसका दूसरा प्रतिष्ठित ही है। अर्थ है, और भी गहरा, और वह है, जिसने जाना स्वयं को। क्योंकि जानना जीतना बन जाता है। ज्ञान विजय है। आत्मज्ञान
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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