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________________ मालकियत की घोषणा विश्व के तंत्र में, उतने के लिए आप जिम्मेवार हो जाएंगे। और कौन गुजरना। राहगीर दिख जाए अनजान, तो मंगल की कामना करके जिम्मेवार होगा? आपने ही उठाईं वे लहरें। आपने ही पैदा किया वह | उसके पास से गुजरना। सब। आपने ही बोया बीज। अब वह चल पडा। अब वह दर-दर एक भिक्षु ने पूछा, इससे क्या फायदा? तक फैल जाएगा। एक छोटी-सी दी गई गाली से क्या-क्या हो। बुद्ध ने कहा कि इसके दो फायदे हैं। पहला तो यह कि तुम्हें गाली सकता है। अगर आपने अकेले में दी हो और किसी ने न सुनी हो, | देने का अवसर न मिलेगा: तम्हें बरा खयाल करने का अवसर न तब तो शायद आप सोचेंगे कि कुछ भी नहीं होगा इसका परिणाम। | मिलेगा। तुम्हारी शक्ति नियोजित हो जाएगी मंगल की दिशा में। और लेकिन इस जगत में कोई भी घटना निष्परिणामी नहीं है। उसके | दूसरा फायदा यह कि जब तुम किसी के लिए मंगल की कामना करते परिणाम होंगे ही। कठिन मालूम पड़ेगा। किसी को गाली दी हो,। | हो, तो तुम उसके भीतर भी रिजोनेंस, प्रतिध्वनि पैदा करते हो। वह उसका दिल दुखाया हो, तब तो हमने कोई शत्रुता खड़ी की है। | भी तुम्हारे लिए मंगल की कामना से भर जाता है। लेकिन अंधेरे में गाली दे दी हो, तो उससे कोई शत्रुता पैदा हो । अगर इस मुल्क ने राह पर चलते हुए अनजान आदमी को भी सकती है? उससे भी पैदा होती है। | राम-राम करने की प्रक्रिया बनाई थी-वह शायद दुनिया में कहीं __ आप बहुत सूक्ष्म तरंगें पैदा करते हैं अपने चारों ओर। वे तरंगें नहीं बनाई जा सकी। अंग्रेजी में या पश्चिम के मुल्कों में अगर वे फैलती हैं। उन तरंगों के प्रभाव में जो लोग भी आएंगे, वे गलत कहते हैं गुड मार्निंग, तो वह शब्द बहुत साधारण है, सेकुलर है। रास्ते पर धक्का खाएंगे। उन तरंगों के प्रभाव में गलत रास्ते पर | | उसका कोई बहुत मतलब नहीं है, सुबह अच्छी है। लेकिन इस धक्का खाएंगे। मुल्क ने हजारों साल के अनुभव के बाद एक शब्द खोजा था अभी इस पर बहुत काम चलता है, सूक्ष्मतम तरंगों पर। और | नमस्कार के लिए, वह था, राम। राह पर कोई मिला है और हमने खयाल में आता है कि अगर गलत लोग एक जगह इकट्ठे हों, सिर्फ | कहा, जय राम! उस आदमी से कोई मतलब नहीं है, जय राम जी चुपचाप बैठे हों, कुछ न कर रहे हों, सिर्फ गलत हों, और आप | का कोई मतलब नहीं है। यह राम का स्मरण है। उस आदमी को उनके पास से गुजर जाएं, तो आपके भीतर जो गलत हिस्सा है, वह | | देखकर हमने प्रभु का स्मरण किया। ऊपर आ जाता है। और जो ठीक हिस्सा है, वह नीचे दब जाता है। ___ जो ठीक से नमस्कार करना जानते हैं, वे सिर्फ उच्चारण नहीं दोनों हिस्से आपके भीतर हैं। अगर कुछ अच्छे लोग बैठे हों एक | करेंगे, वे उस आदमी में राम की प्रतिमा को भी देखकर गुजर जगह, प्रभु का स्मरण करते हों, कि प्रभु का गीत गाते हों, कि जाएंगे। उन्होंने उस आदमी को देखकर प्रभु को स्मरण किया। उस किन्हीं सदभावों के फूलों की सुगंध में जीते हों, कि सिर्फ मौन ही | आदमी की मौजूदगी प्रभु के स्मरण की घटना बन गई। इस मौके बैठे हों। जब आप उनके पास से गुजरते हैं-वही आप, जो गलत | को छोड़ा नहीं; इस मौके पर एक शुभ कामना पैदा की गई, प्रभु के लोगों के पास से गुजरे थे, और आपका गलत हिस्सा ऊपर आ स्मरण की घड़ी पैदा की गई। गया था—जब आप इन लोगों के पास से गुजरते हैं, तो दूसरी और हो सकता है, वह आदमी शायद राम को मानता भी न हो, घटना घटती है। आपका गलत हिस्सा नीचे दब जाता है; आपका | जानता भी न हो, लेकिन उत्तर में वह भी कहेगा, जय राम। उसके श्रेष्ठ हिस्सा ऊपर आ जाता है। भीतर भी कुछ ऊपर आएगा। और अगर राह से, पुराने गांव की राह आपकी संभावनाओं में इतने सूक्ष्मतम अंतर होते हैं। और हम | | से गुजरते हैं, तो राह पर पच्चीस दफा जय राम कर लेना पड़ता है। चौबीस घंटे जो कर रहे हैं, उसका कोई हिसाब नहीं रखता कि हम | | जीवन बहुत छोटी-छोटी घटनाओं से निर्मित होता है। क्या कर रहे हैं। एक छोटा-सा गलत बोला गया शब्द कितने दूर ___ मंगल की कामना या प्रभु का स्मरण, आपके भीतर जो श्रेष्ठ है, तक कांटों को बो जाएगा, हमें कुछ पता नहीं है। उसको ऊपर लाता है; और दूसरे के भीतर जो श्रेष्ठ है, उसे भी बुद्ध अपने भिक्षुओं से कहते थे कि तुम चौबीस घंटे, राह पर ऊपर लाता है। जब आप किसी के सामने दोनों हाथ जोड़कर सिर तुम्हें कोई दिखे, तो उसके मंगल की कामना करना। वृक्ष भी मिल झुका देते हैं, तो आप उसको भी झुकने का एक अवसर देते हैं। जाए, तो उसके मंगल की कामना करके उसके पास से गुजरना। और झुकने से बड़ा अवसर इस जगत में दूसरा नहीं है, क्योंकि पहाड़ भी दिख जाए, तो मंगल की कामना करके उसके निकट से | झुका हुआ सिर कुछ भी बुरा नहीं सोच पाता। झुका हुआ सिर गाली 43
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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