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________________ धर्म का सार : शरणागति - लेकिन हम तो सब टुकड़ों में देखते हैं; हम पूरे में तो कुछ नहीं | उपलब्ध हो जाते हैं। यह पुनर्जन्म शरीर का नहीं, आत्मा का। यह देख पाते। वृक्ष को हम देखते हैं, तो सूरज को नहीं देख पाते, आत्मा नई होकर प्रकट होती है। हालांकि सूरज और वृक्ष जुड़े हुए हैं। सूरज को देखते हैं, तो जमीन __यह कृष्ण ने पूरा का पूरा विज्ञान आत्मा के नए जन्म को देने के को नहीं देख पाते; हालांकि जमीन और सरज जड़े हए हैं। रात लिए कहा है। आखिरी में शरण को याद रर याद रखना कि परमात्मा पर देखते हैं, तो दिन को नहीं देख पाते; हालांकि दिन और रात एक | छोड़ देना है सब। ही सिक्के के दो पहलू हैं। प्रकाश देखते हैं, तो अंधेरा खो जाता है। और दूसरी बात, अनुकूल में तो दिखाई ही पड़ेगा परमात्मा, अंधेरा देखते हैं, तो प्रकाश नहीं होता; हालांकि दोनों एक-दूसरे के | प्रतिकूल में भी परमात्मा को देखने की खोज जारी रखना। जो पहलू हैं। खोजता है, वह पा लेता है। सिर्फ वे ही वंचित रह जाते हैं, जो कभी __ आदमी कितना कमजोर है, कभी आपने खयाल किया है! एक खोज पर ही नहीं निकलते हैं। और कृष्ण जो कह रहे हैं, जितना छोटे-से नए पैसे को हाथ में लेकर कभी आपने कोशिश की कि | कहने से कहा जा सकता है, उतना वे कह रहे हैं। लेकिन कुछ है, दोनों पहलू एक साथ देख लें? तब आपको पता चलेगा, आदमी | जो चुप होकर ही जाना जा सकता है। कितना कमजोर है। एक छोटे-से सिक्के के एक पैसे के दोनों पहलू ___ दस दिन तक निरंतर मैं आपसे बात कर रहा था। अब मैं चाहूंगा आप एक साथ नहीं देख सकते। जब एक पहलू दिखाई पड़ता है, कि दस दिन कम से कम एक घंटे-दस दिन मैंने आपसे बात तब दूसरा खो जाता है। जब दूसरा दिखाई पड़ता है, तो पहला खो की-दस दिन आप इस गीता ज्ञान यज्ञ को और जारी रखना अपने जाता है। घर पर। एक घंटा रोज अब आप चुप बैठ जाना। और जो मैंने इसलिए जो बहुत तर्क में गहरे उतरते हैं, वे कहते हैं कि जब | | आपको कहकर समझाया है, और समझ में न आया होगा, वह उस 'किसी ने आज तक देखे ही नहीं दो पहलू एक साथ, तो यह कहना | एक घंटे की चुप्पी में आपकी समझ में उतरेगा और गहरा होगा। कहां तक उचित है कि पैसे में दो पहलू होते हैं? क्या पता, नीचे __ यह गीता ज्ञान यज्ञ आज समाप्त नहीं होता। आज सिर्फ गीता का पहलू बचा हो अब तक न बचा हो! क्या पक्का है? अनुमान | ज्ञान यज्ञ शब्द से समाप्त होता है, मौन से शुरू होता है। कल से है सिर्फ कि नीचे भी पहलू होगा। होगा या नहीं होगा, क्या पता! | आप दस दिन कम से कम एक घंटा मौन में बिता देना। आदमी की बुद्धि पूरे को नहीं देख पाती; दि होल, वह जो पूर्ण सुना है मैंने, एक अमेरिकन यात्री एक पहाड़ की यात्रा पर गया है, नहीं देख पाती। आदमी की बुद्धि खंड-खंड करके देखती है। | था। बड़ी मुश्किल में पड़ गया। गांव में कई लोगों से उसने बात खंड-खंड में सब सौंदर्य खो जाता है, खंड-खंड में सब चेतना खो | करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने कोई जवाब न दिया। सांझ जाती है, खंड-खंड में सब सत्य खो जाता है। असत्य के टुकड़े ही को कुछ लोग एक कुएं की पाट पर बैठे थे, तो वह भी जाकर बैठ हाथ में लगते हैं-असुंदर, कुरूप। गया। उसने दो-चार दफे बात चलाने की कोशिश की। लोगों ने कृष्ण कहते हैं, जो सब भूतों में मुझे देखेगा। देखा, लेकिन चुप ही रहे। फिर उसने पूछा कि क्या मामला है? क्या सब भूतों में देखना शुरू करें। वर्षा में, बादल में, सूरज में, पानी | | इस गांव में कोई कानून है बोलने के खिलाफ? बोलते क्यों नहीं में, दुख में, सुख में, मित्र में, शत्रु में देखना शुरू करें। शब्द में, | | हो? इज़ देअर एनी ला अगेंस्ट स्पीकिंग? मौन में एक को ही देखना शुरू करें। और तब एक दिन जरूर | फिर भी थोड़ी देर चुप रहे लोग। फिर एक बूढ़े ने उससे धीरे से वह घटना घटती है कि विपरीत नहीं रह जाता, द्वैत नहीं रह जाता, उसके कान में कहा, देअर इज़ नो सच ला हियर, बट अप हियर दो नहीं बचते, एक ही बचता है। पीपुल स्पीक ओनली व्हेन दे फील दैट बाई स्पीकिंग दे कैन इम्प्रूव और जिस दिन प्राणों के सामने एक ही बचता है, उस दिन ऐसी | अपान साइलेंस। तभी बोलते हैं, जब उन्हें लगे कि बोलने से मौन छलांग लगती है कि एक नए आयाम में, एक नए जगत में प्रवेश के ऊपर कुछ कहा जा सकता है; अन्यथा नहीं बोलते। हो जाता है। फिर आप वही नहीं होते, जो आप कल तक थे। सब | हमने कभी खयाल ही नहीं किया है। तो यहां तो समाप्त हो कुछ वह वही होता है, फिर भी सब बदल जाता है। आप दूसरे ही जाएगा। आप दस दिन मौन में बैठना एक घंटा, और उस घंटे में आदमी हो जाते हैं। आपका नया जन्म, आप रि-बॉर्न, पुनर्जन्म को मैं फिर आपसे बोल सकूँगा; लेकिन वह बोलना बहुत गहरा हो |453
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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