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________________ - गीता दर्शन भाग-3> गया, मेरी समझ में नहीं आता! मैंने तुम्हें गर्म करते भी देखा, आग | है। मित्रों ने आग्रह किया। मित्र आग्रह करने से नहीं बच सकते थे, जलाते भी देखा, पानी को भाप बनते भी देखा, लेकिन मैं यह अभी | । क्योंकि यह मित्र पहले उनको कई दफा आग्रह करके पिला चुका था। तक नहीं देख पाया कि गर्म करने से पानी कब भाप बना! गर्मी और आप पीछे हटते चले जाएं, तो शायद सड़क पर जो आज देखी, आग देखी, भाप बनते देखा पानी। लेकिन पानी गर्मी से कब आपको एक कार आकर टकराकर लग गई है, इसके पीछे आपको भाप बना, यह मैंने देखा नहीं अभी तक। उतने ही कारण मिल जाएंगे, जितने जगत में हो सकते हैं, सब। इस __आप कहते हैं, हृदय की धड़कन बंद हो गई, इसलिए यह | | छोटी-सी घटना के पीछे यह पूरा जगत कारणों का एक जाल आदमी मर गया। ह्यूम कहेगा कि यह भी हमने देखा कि धड़कन | बिछाकर खड़ा होगा। अगर आप थोड़ा भीतर उतरते जाएं, उतरते बंद हो गई, और यह भी हमने देखा कि आदमी मर गया। लेकिन | जाएं, तो आप घबड़ा जाएंगे, और आप कहेंगे कि बस, अब खोज फिर भी मैंने वह घटना नहीं देखी कि हृदय की धड़कन बंद होने से | | करनी बेकार है। इस खोज का कहीं अंत नहीं हो सकता। यह तो मर गया। उन दोनों के बीच का संबंध मैंने नहीं देखा। कारणों का जाल है। राम कहा करता था कि एक आदमी अपने घर में दो घड़ियां बना कृष्ण इन कारणों की बात नहीं कर रहे। वे कह रहे हैं, एक सकता है। ऐसी घड़ियां बना सकता है कि एक घड़ी में बारह बजे | कारण, सनातन कारण। सनातन कारण का अर्थ होता है, यह सब और दूसरी घड़ी में बारह का घंटा बजे। इसमें कोई कठिनाई तो नहीं | मुझसे निकला और मुझमें लीन होगा। यह सब मुझसे आया और है। एक घड़ी में सात बजे, दूसरे में सात का घंटा बजे। एक में आठ मुझमें वापस लौट जाएगा–सब। सनातन कारण का अर्थ होता बजे और दूसरे में आठ का घंटा बजे। फिर कोई आदमी, जो घड़ी है, मेरे बिना कुछ भी नहीं हो सकता है। अगर मैं नहीं है, तो कुछ को न जानता हो, पीछे से वह उस घर में आ जाए, तो वह सोचेगा भी नहीं है। मैं हूं, तो सब है। मेरे हटते ही सब शून्य हो जाएगा। कि जब इस घड़ी में सात बजते हैं, तो सात बजने के कारण उस मेरी नजर फिरी कि सब शून्य हो जाएगा। सब मेरा खेल है। सनातन घड़ी में सात का घंटा बजता है। जब कि उनमें कोई भी संबंध नहीं | | कारण का अर्थ होता है, जिससे सब चीजें आती हैं, और जिसमें है ऊपर से। हम जिनको कारण कहते हैं, वे ऐसे ही ऊपर से जुड़ी | वापस लौट जाती हैं। बीच में जो कारणों का जाल है, उससे कोई हुई घटनाएं हैं। संबंध नहीं है। इसलिए कृष्ण ने इतना ही नहीं कहा कि सब भूतों का कारण; | हम सब ऊपर के कारणों को देखते हैं, इसलिए मुश्किल में पड़ते कहा, सनातन कारण—दि अल्टिमेट काज–आखिरी, प्रथम, हैं। अर्जुन भी ऊपर के कारण देखने वाला है। वह कह रहा है, मैं अंतिम, अनादि। | इनको छुरा मारूंगा, तो ये मर जाएंगे। अगर हम एक-एक कारण को खोजने जाएं, तो जगत में अनंत कृष्ण कहते हैं, तू फिक्र मत कर, क्योंकि मैं जानता हूं। ये मेरी कारण हैं। हर चीज के अनंत कारण हैं। और एक चीज भी एक वजह से जी रहे हैं। और जब तक मैं जी रहा हूं, ये कोई मर सकते कारण से नहीं होती, मल्टी-काजल होती है, अनेक कारण से | | नहीं। तू बेफिक्री से युद्ध कर। मैं तुझे सनातन कारण कहता हूं। तेरे होती है। छुरे मारने से ये मरने वाले नहीं हैं; और न तेरे छुरे के बचने से ये आप सड़क पर जा रहे हैं और एक कार आपसे आकर टकरा गई, | बचने वाले हैं। इनका होना और न होना मुझ पर निर्भर है, मैं तो आप जानते हैं, कितने कारण होते हैं? हजार कारण होते हैं। सनातन कारण हूं। आप रास्ते पर जिस भांति जा रहे थे, अगर घर से पत्नी से अगर यह बात ठीक से समझ ली जाए कि परमात्मा सभी चीजों लड़कर न चले होते, तो शायद इस भांति न चल रहे होते, जैसे चल का सनातन कारण है, तो आप कर्ता बनने के मोह से गिर जाएंगे। रहे थे। लेकिन पत्नी आपसे न लड़ती, अगर बच्चा स्कूल से वक्त | वह कर्ता बनने का मोह फिर न रह जाएगा। आप कहेंगे, ठीक है। पर घर आ गया होता। बच्चा स्कूल से वक्त पर घर आ सकता था, | जो हो रहा है, ठीक है। जो हो जाए, ठीक है। जो न हो, ठीक है। लेकिन रास्ते में मित्र मिल गए। और जिस दिन आप इतनी सरलता से सब स्वीकार कर लेंगे, उस वह जो आदमी चलाकर आ रहा है कार और आपसे टकरा गया दिन आपके भीतर अहंकार को खड़े होने की कोई जगह न रह है, वह भी शायद न टकराता, लेकिन किसी ने उसे शराब पिला दी| | जाएगी।
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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