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________________ आंतरिक संपदा - और फ्रायड की बहुत गहरी पकड़ नहीं है। बहुत ऊपर-ऊपर उनकी । | सक्रिय होती दिखाई पड़ेगी, ऊपर की ही धूल उड़ने लगेगी। नीचे खोज है। फ्रायड के पास जो उत्तर है, वह बहुत साफ नहीं है, कि की धूल तो निश्चित विश्राम करेगी। वह बहुत गहरी बैठ गई है; मनुष्य के चेतन और अचेतन में फर्क क्यों पड़ता है? व्हाइ देअर बहुत गहरी; अब वहां कोई झोंका नहीं पहुंचता है। कभी-कभी कोई इज़ डिस्टिंक्शन? यह चेतन और अचेतन जैसे दो हिस्से क्यों हैं झोंका वहां तक पहुंच जाता है। जब हम कहते हैं कि कोई विचार मनुष्य के मन के? हमारे जीवन में प्रवेश करता है, कोई प्रेरणा, कोई इंसपेरेशन, कोई ___ फ्रायड इतना ही कह सकता है कि अचेतन वह हिस्सा है, जिसको घटना, कोई व्यक्ति, कोई शब्द, कोई ध्वनि, कोई चोट जब हमारे हमने दबा दिया। लेकिन क्यों दबा दिया? और फ्रायड यह भी जानता जीवन में गहरी प्रवेश करती है और हमारी पर्तों को फाड़कर भीतर है कि वह अचेतन हिस्सा नौ गुना बड़ा है चेतन से। तो एक हिस्सा | | चली जाती है, तब उस भीतर की आवाज आती है। नौ गुने को दबा सकेगा? इसमें बड़ी भूल मालूम पड़ती है। फ्रायड | उन मित्र को नब्बे प्रतिशत की जो आवाज आ रही है, वह किसी कहता है कि अचेतन नौ गुना बड़ा है। अनकांशस नौ गुना बड़ा है | गहरी चोट के कारण से आ रही है। लेकिन वे चोट को झुठलाने में कांशस से। जैसे कि बर्फ का टुकड़ा पानी में तैरता हो, तो जितना | लगे हैं। वे बड़े दुख में पड़ गए हैं। दुख भारी है। और मन में विचार नीचे डूब जाता है, उतना अचेतन है, नौ गुना ज्यादा। जरा-सा ऊपर आता है कि आत्महत्या कर लें। निकला रहता है, उतना चेतन है। अगर नौ गुना अचेतन वही हिस्सा | ध्यान रहे, जब किसी आदमी के जीवन में आत्महत्या का विचार है जो आदमी ने दबा दिया है, तो बड़े आश्चर्य की बात है कि चेतन | | आता है, वही क्षण संन्यास में रूपांतरित किया जा सकता है। छोटी-सी ताकत बड़ी ताकत को दबा पाती है? तत्काल! क्योंकि संन्यास का अर्थ है, आत्मरूपांतरण। नहीं: फ्रायड की थोडी भल मालम पडती है। यह बात सच है. जब आदमी आत्महत्या करना चाहता है, तो उसका मतलब यह यह दमन की बात में थोड़ी सच्चाई है। लेकिन अचेतन असल में है कि इस आत्मा से ऊब गया है, इससे ऊब गया है, इसको खतम वह हिस्सा है मन का, जो हमारे अतीत जन्मों से निर्मित होता है; कर दूं। इसके दो ढंग हैं। या तो शरीर को काट दो; इससे आत्मा और चेतन वह हिस्सा है हमारे मन का, जो हमारे इस जन्म से | खतम नहीं होती, सिर्फ धोखा पैदा होता है। वही आत्मा नए शरीर निर्मित होता है। | में प्रवेश करके यात्रा शुरू कर देगी। दूसरा जो सही रास्ता है, वह इस जन्म के बाद हमने जो अपना मन बनाया है, शिक्षा पाई है, | यह है कि इस आत्मा को ट्रांसफार्म करो, रूपांतरित करो, नया कर संस्कार पाए हैं, धर्म, मित्र, प्रियजन, अनुभव, उनका जो जोड़ है, | लो। शरीर को मारने से कुछ न होगा, आत्मा को ही बदल डालो, वह हमारा मन है, कांशस माइंड है। और उसके पीछे छिपी हुई जो | वह योग है। अंतर्धारा है हमारे अचेतन की, अनकांशस माइंड की, वह हमारा इसलिए एक बहुत मजे की बात आपको कहूं, जिस देश में अतीत है। वह हमारे अतीत जन्मों का समस्त संग्रह है। ज्यादा संन्यासी होते हैं, उस देश में आत्महत्याएं कम होती हैं। और निश्चित ही, वह ज्यादा ताकतवर है, लेकिन ज्यादा सक्रिय नहीं जिस देश में संन्यासी कम होते हैं, उसमें उतनी ही मात्रा में है। इन दोनों बातों में फर्क है। ज्यादा ताकत से जरूरी नहीं है कि आत्महत्याएं बढ़ जाती हैं। सक्रियता ज्यादा हो। कम ताकत भी ज्यादा सक्रिय हो सकती है। आप जानकर यह हैरान होंगे कि अगर अमेरिका और भारत की असल में जो हमने इस जन्म में बनाया है, वह ऊपर है; वह हमारे आत्महत्या और संन्यासियों का आंकड़ा बिठाया जाए, तो बराबर मन का ऊपरी हिस्सा है, जो हमने अभी बनाया है। और जो हमारे अनुपात होगा, बराबर, एक्जेक्ट! जितने लोग यहां ज्यादा मात्रा में अतीत का है, वह उतना ही गहरा है। जो हमने जितने गहरे जन्मों | संन्यास लेते हैं, उतने ज्यादा लोग वहां आत्महत्या करते हैं। क्योंकि में बनाया है, उतना ही गहरा दबा है। आत्महत्या का क्षण दो तरफ जा सकता है। वह एक क्राइसिस है, जैसे कोई आदमी के घर में धूल की पर्त जमती चली जाए वर्षों | | एक संकट है। या तो शरीर को मिटाओ, या स्वयं को मिटाओ। तक, तो आज सुबह जो धूल उसके घर में आएगी, वह ऊपर होगी, दिखाई पड़ेगी। और अगर हवा का झोंका आएगा, तो वर्षों की नीचे शरीर को मिटाने से कुछ भी नहीं होता। सिर्फ तीस-पैंतीस साल जो जमी धूल है, उसको पता भी नहीं चलेगा। ऊपर की हवा ही के बाद आप वहीं फिर खड़े हो जाएंगे। एक व्यर्थ की लंबी यात्रा और 297
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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