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________________ - वैराग्य और अभ्यास > वह स्त्री थोड़ी डर गई। उसने आंख बंद कर ली। फिर उसने कहा | पाया था। हालांकि उस दिन बिलकुल नहीं पाया था; लेकिन आज कि नहीं, सुख तो नहीं भोगा। मैने कहा, कभी तुम्हारे मन में ऐसा सोच रहे हैं। आज सोच रहे हैं, ताकि कल फिर उस होटल की तरफ खयाल आया था कि इस पति के साथ विवाह न होता, तो अच्छा | पैर जा सकें। था? क्योंकि ऐसी पत्नी जरा खोजना मुश्किल है। उसने कहा, आप | तो मैं आपसे कहूंगा कि अतीत का भी सत्य साफ है। उस भी कैसी बात करते हैं। मैंने कहा, मैं तुम्हें एक कहानी कहता हूं। महिला को मैंने कहा, ठीक से देखो। उसने हिम्मत जुटाकर कहा एक चर्च में एक पादरी ने एक सांझ कहा कि जिन दंपतियों में | | कि नहीं, कोई सुख तो नहीं पाया। मैंने कहा, जिसके जीवन से तुमने कभी झगड़ा न हुआ हो, वे आगे आ जाएं। कोई पांच सौ लोग थे। सुख नहीं पाया, और जिसको तुम कहती हो खुद कि मैंने कई बार पांच-सात जोड़े आगे आए। उस पादरी ने भगवान से कहा, हे सोचा कि इस आदमी से मिलना न होता, तो अच्छा; विवाह न परमात्मा, इन पक्के झूठों को आशीर्वाद दे, ब्लेस दीज डैम लायर्स! किया होता, तो अच्छा...। क्या कभी तुम्हारे मन में ऐसा भी उन्होंने कहा, आप हमें झूठा कह रहे हैं? खयाल आया था कि यह आदमी मर जाए या मैं मर जाऊं? । कहने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने यही जानने के लिए तुम्हें __उस स्त्री ने कहा, अब आप जरा ज्यादा बात कर रहे हैं। मैं बाहर बुलाया था कि कितने झूठे आज यहां इकट्ठे हैं। उनमें से एक धीरे-धीरे आपसे कछ बातों पर राजी होती जाती है. तो आप ज्यादा ने पूछा, लेकिन आपको पता कैसे चला? उसने कहा कि मैं भी | बात कर रहे हैं! मैंने कहा कि मैं कुछ ज्यादा नहीं कर रहा। ऐसा दंपति हूं। मुझे भी बहुत कुछ पता है। और तुम सब अलग-अलग मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बहुत मुश्किल है कि जिन्हें हम प्रेम करते आकर मुझसे चर्चा कर गए हो। तुम भूल गए हो। हैं, उनकी हत्या का या उनके मर जाने का खयाल हमें न आता हो। वे पति भी आकर चर्चा कर चुके हैं। वे उसी के सुनने वाले हैं। स्वीकार करना कठिन पड़ता है। खुद भी स्वीकार करना कठिन और ईसाइयों में कन्फेशन होता है। पादरी के पास जाकर पति भी | पड़ता है कि ऐसा कैसे! कई दफे जब मन में आता है, तो हम कहते बता आता है, किस मुसीबत में गुजर रहा है; पत्नी भी बता आती हैं, नहीं-नहीं, यह ठीक नहीं है। इस तरह की बात बड़ी गलत है। है। तुम अलग-अलग सब बता गए हो मुझे। और अब तुम जोड़े यह मन बड़ा खराब है। जैसे कि मन दोषी है और हम निर्दोष, की तरह खड़े हो कि हममें कोई कलह नहीं है! अलग खड़े हैं! मैंने उस महिला को कहा कि ठीक से देख ले। कहीं अब यह वह महिला ईमानदार थी और उसने कहा कि ऐसा खयाल आया। सुख का खयाल झूठा न हो। लेकिन जैसे ही उसने कहा कि ऐसा खयाल आया, जैसे उसके ऊपर हम भविष्य में भी झूठे सुख निर्मित करते हैं और अतीत में भी। से एक भार उतर गया। और उसने कहा, सच में ही मैं हैरान हूं। जिस हम अदभुत हैं। जो सुख हमने कभी नहीं पाए, हम सोचते हैं, हमने | व्यक्ति के साथ रहकर मैं सुख न पा सकी, जिस व्यक्ति के साथ अतीत में पाए। यह तरकीब है मन की। क्योंकि अतीत में सुख रहकर मैंने कई बार सोचा कि दो में से एक समाप्त ही हो जाए तो निर्मित करें, तो ही भविष्य में आशा करना आसान है। अन्यथा | अच्छा, आज उसकी मृत्यु पर मैं दुख क्यों पा रही हूं? भविष्य में आशा करना दुरूह हो जाएगा। यह अभ्यास है काम का। और मैंने कहा कि जो दुख पा रही हो, उससे बचने की भी कोशिश वैराग्य का अभ्यास यास करना है. तो अतीत के सखों को ठीक से चल रही है। इस दख को परा पाओ। छाती पीटो रोओ चिल्लाओ। देखना, ताकि साफ हो जाए कि वे दुख थे। अगर पूरा अतीत दुख | जिस तरह नाची थी शादी के वक्त, उसी तरह अब मृत्यु के वक्त सिद्ध हो जाए, तो भविष्य में सुख की आशा क्षीण हो जाएगी, गिर | छाती पीटो, तड़पो, जमीन पर लोटो। दुख भोगो। और देखो इस दुख जाएगी; क्योंकि भविष्य अतीत के प्रोजेक्शन, अतीत के फैलाव के | को गौर से, ताकि यह वैराग्य का क्षण ठहर जाए, और कल फिर अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। कल्पनाएं हमारी स्मृतियों के ही पुरानी आशाएं और फिर पुराने जाल फिर खड़े न हों। नए रूप हैं। भविष्य की योजनाएं, हमारे अतीत की ही विफल लाओत्से ने लिखा है कि एक आदमी मरने के करीब था। योजनाओं को फिर से सम्हालना है। लाओत्से गांव का बूढ़ा आदमी था, फकीर था। तो उसकी पत्नी उसे काम का अभ्यास चलता है। तो अतीत में हम सोचते हैं, कैसा कई बार कहने आई कि मेरे पति को बचा लो। उसके बिना मैं सुख मिला! उस दिन भोजन किया था उस होटल में, कैसा सुख बिलकुल न रह सकूँगी। लाओत्से ने कहा, बचाना तो मेरे हाथ में 257
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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