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________________ < योग का अंतर्विज्ञान > खड़ा कर लेती है। स्रोत-क्षेत्र हैं, उन पर दबाव डालने की प्रक्रिया है, ताकि उनमें छिपी हमारे शरीर की बहुत क्षमताएं हैं, जिनका हम हिसाब नहीं लगा हुई शक्ति सक्रिय हो जाए। सकते। वे सारी की सारी क्षमताएं अनुपयुक्त, अनयूटिलाइज्ड रह आपने ट्रेन को चलते देखा है। शक्ति तो बहुत साधारण-सी जाती हैं। क्योंकि जीवन के काम के लिए उनकी कोई जरूरत ही नहीं उपयोग में आती है, पानी और आग की, और दोनों से बनी हुई भाप है। जीवन के लिए जितनी जरूरत है, उतना शरीर काम करता है। की। लेकिन भाप के धक्के से इंजन का सिलेंडर धक्का खाकर अगर हम वैज्ञानिकों से पूछे, तो वैज्ञानिकों का खयाल है कि दस | चलना शुरू हो जाता है। फिर ट्रेन चल पड़ती है। इतनी बड़ी शक्ति, प्रतिशत से ज्यादा हम अपने शरीर का उपयोग नहीं करते। नब्बे इतने बड़े वजन की ट्रेन सिर्फ पानी की भाप, स्टीम चलाती है। प्रतिशत शरीर की शक्तियां अनुपयोगी रहकर ही समाप्त हो जाती आपके शरीर में भी बहुत-सी शक्तियां हैं, जिन शक्तियों को हैं। जीते हैं, जन्मते हैं, मर जाते हैं। वह नब्बे प्रतिशत शरीर जो कर दबाकर सक्रिय किया जाए, तो आपके भीतर न मालूम कितने सकता था, पड़ा रह जाता है। सिलेंडर चलने शुरू हो जाते हैं, जो कि अभी बिलकुल वैसे ही पड़े __ योग का पहला काम तो यह है कि उन नब्बे प्रतिशत शक्तियों हैं। इन शक्तियों के बिंदुओं को, जहां शक्ति छिपी है, योग चक्र में से जो सोई पड़ी हैं, उन शक्तियों को जगाना, जिनके माध्यम से कहता है। प्रत्येक चक्र पर छिपी हुई शक्तियां हैं। और प्रत्येक चक्र अंतर्यात्रा हो सके। क्योंकि बिना शक्ति के कोई यात्रा नहीं हो को दबाने के, गतिमान करने के, डायनेमिक करने के आसन हैं, सकती है। एनर्जी, ऊर्जा के बिना कोई यात्रा नहीं हो सकती है। प्राणायाम की विधियां हैं। अगर आप सोचते हैं कि हवाई जहाज किसी दिन बिना ऊर्जा के - हम भी साधारणतः उपयोग करते हैं, हमारे खयाल में नहीं होता चल सकेंगे, तो आप गलत सोचते हैं। कभी नहीं चल सकेंगे। है। आपने कभी खयाल किया है कि रात आप सिर के नीचे तकिया - हां, यह हो सकता है, हम सूक्ष्मतम ऊर्जा को खोजते चले जाएं। रखकर क्यों सो जाते हैं? कभी खयाल नहीं किया होगा। कहते हैं बैलगाड़ी चलती है, तो ऊर्जा से। पैदल आदमी चलता है, तो ऊर्जा | कि नींद नहीं आती है, इसलिए सो जाते हैं। तकिया रखकर आप से। सांस चलती है, तो ऊर्जा से। सब मूवमेंट, सब गति ऊर्जा की न सोएं, तो नींद क्यों नहीं आती? गति है, शक्ति की गति है। जब आप तकिया नहीं रखते, तो शरीर के खून की गति सिर की अगर आप सोचते हों कि परमात्मा तक बिना ऊर्जा के सहारे तरफ ज्यादा होती है। क्योंकि सिर भी शरीर की सतह में, बल्कि आप पहुंच जाएंगे, तो आप गलती में हैं। परमात्मा की यात्रा भी शरीर से थोड़ा नीचे ढल जाता है। तो सारे शरीर का खुन सिर की बडी गहन यात्रा है। उस यात्रा में भी आपके पास शक्ति चाहिए। तरफ बहता है। और जब खन सिर की तरफ बहता है. तो सिर के और जिस शक्ति का आप उपयोग करते हैं साधारणतः, वह शक्ति जो तंतु हैं, मस्तिष्क के, वे खून की गति से सजग बने रहते हैं। फिर आपके जीवन के दैनिक काम में चुक जाती है, उसमें से कुछ बचता नींद नहीं आ सकती। खून बहता रहता है, तो मस्तिष्क के तंतु सजग नहीं है। और अगर थोड़ा-बहुत बचता है-अगर थोड़ा-बहुत रहते हैं। तो फिर नींद नहीं आ सकती। तो आप तकिया रख लेते हैं। बचता है तो भी आपने उसको व्यर्थ फेंक देने के उपाय और और जैसे-जैसे आदमी सभ्य होता जाता है; तकिए बढ़ते चले व्यवस्था कर रखी है। कुछ बचता नहीं। आदमी करीब-करीब जाते हैं-एक, दो, तीन ! क्यों? क्योंकि उतना सिर ऊंचा चाहिए, बैंक्रप्ट, दिवालिया जीता है। जो शक्ति उसे मिलती है, दैनंदिन ताकि खून जरा भी भीतर न जाए। नहीं तो मस्तिष्क की दिनभर इतनी कार्यों में चुक जाती है। और जो शक्ति छिपी पड़ी है, उसे वह कभी चलने की आदत है कि जरा-सा खून का धक्का और सिलेंडर चालू जगा नहीं पाता। हो जाएगा; आपका मस्तिष्क काम करना शुरू कर देगा। तो योग का पहला तो आधार है, छिपी हुई पोटेंशियल ऊर्जा को | __ योगी शीर्षासन लगाकर खड़ा होता है। आप समझें कि दोनों का जगाना। सब तरह के उपाय योग ने खोजे हैं कि वह कैसे जगाई | नियम एक ही है, तकिया रखने का और शीर्षासन का आधारभूत जाए। इसलिए प्राणायाम खोजा। प्राणायाम आपके भीतर सोई हुई | | नियम एक ही है। उलटा काम कर रहा है वह। वह सारे शरीर के शक्तियों को हैमर करने की, चोट करने की एक विधि है। फिर योग खून को सिर में भेज रहा है। योगी जब शीर्षासन लगाकर खड़ा हो ने आसन खोजे। आसन आपके शरीर में छिपे हुए जो ऊर्जा के रहा है, तो वह कर क्या रहा है? वह इतना ही कर रहा है कि वह 139
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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