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________________ 301 अर्जुन का पलायन-अहंकार की ही दूसरी अति - ऐसा लिखा है। तो भगवान को हंसना ही पड़ेगा कि कम से कम इस क्षण में जीसस भगवान से ज्यादा बुद्धिमान अपने को समझ अब तो गीता छोड़ो। लेकिन वे नहीं छोड़ेंगे। वह अर्जुन, जो आम पंडित की नासमझी है, वही कर रहा है। तत्काल जीसस को खयाल आ गया। अर्जुन को बहुत मुश्किल और कृष्ण सीधे और साफ कह रहे हैं। इतनी सीधी और साफ बात | से खयाल आता है; जीसस को तत्काल खयाल आ गया। जैसे ही कम कही गई है, बहुत कम कही गई है। कृष्ण कह सकते हैं, कहने उनके मुंह से यह आवाज निकली कि हे भगवान, यह क्या दिखला का कारण है। लेकिन अर्जुन इसे भी सुनेगा या नहीं, यह कहना रहा है! दूसरा वाक्य उन्होंने कहा, क्षमा कर। जो तेरी मर्जी–दाई मुश्किल है! अर्जुन करीब-करीब पूरी गीता में, बहुत समय तक, विल बी डन-तेरी ही इच्छा पूरी हो। यह मैं क्या कह दिया-क्या अंधे और बहरे का ही प्रदर्शन करता है। अन्यथा शायद गीता की दिखला रहा है! शक पैदा हो गया। जरूरत ही नहीं थी। अगर वह एक बार गौर से आंख खोलकर ___ मेरे हिसाब में तो इस एक वचन को बोलते वक्त जीसस मरियम कृष्ण को देख लेता, तो ही बात समाप्त हो गई थी। लेकिन वह | के बेटे जीसस थे और दूसरे वचन को बोलते वक्त वे क्राइस्ट हो भगवान भी कहे चला जाता है और उनकी तरफ ध्यान भी नहीं दे गए। इस बीच में क्रांति घटित हो गई। एक क्षण पहले तक वे सिर्फ रहा है! | मरियम के बेटे जीसस थे, जिसने कहा, यह क्या दिखला रहा है! जब खुद भगवान ही सारथी हैं—अगर सच में वह जानता है | | शिकायत मौजूद थी। आस्तिक के मन में शिकायत नहीं हो सकती। कि वे भगवान हैं तो जब वे सारथी बनकर ही रथ पर बैठ गए दूसरे क्षण में ही तत्काल उनके मुंह से निकला, क्षमा कर; तेरी इच्छा हों और लगाम उनके ही हाथ में हो, तब वह व्यर्थ अपने सिर पर पूरी हो। जो तू कर रहा है, वही ठीक है; उससे अन्यथा ठीक होने वजन क्यों ले रहा है सोचने का! अगर वे भगवान ही हैं, ऐसा वह का कोई सवाल ही नहीं है। जानता है. तो अब और पछने की क्या गंजाइश है? हाथ में लगाम बस, वे क्राइस्ट हो गए। दूसरे ही क्षण वे मरियम के साधारण उनके है. छोड दे बात। लेकिन वह कहता है भगवान. जानता अभी बेटे न रहे: वे परमात्मा के पत्र हो गए। नहीं है। अर्जुन कहे तो चला जा रहा है, भगवान, भगवान! लेकिन वह हम भी भगवान कहे चले जाते हैं, जानते नहीं हैं। मंदिर में एक संबोधन है; वैसे ही जैसे सभी संबोधन झूठे होते हैं, औपचारिक आदमी भगवान के सामने खड़े होकर कहता है कि नौकरी नहीं लग होते हैं। अभी भगवान उसे दिखाई नहीं पड़ रहा है। दिखाई तो उसे रही, नौकरी लगवा दें भगवान। अगर भगवान को जानता ही है, तो | यही पड़ रहा है कि अपना सखा है कृष्ण। आ गया है साथ, सारथी इतना तो जानना ही चाहिए कि नौकरी नहीं लग रही, इसका उन्हें | | का काम कर रहा है। साथ है, इसलिए पूछ लेते हैं। बाकी भगवान पता होगा। यह कपा करके इन्फर्मेशन मत दें। और अगर इतना भी की जो अनभति है, वह अगर उसे हो जाए तो पछने को क्या बचता उनको पता नहीं है, तो ऐसे भगवान के सामने हाथ जोड़कर भी कुछ | है! उसे कहना चाहिए कि लगाम तुम्हारे हाथ में है, जो मर्जी। दाई होने वाला नहीं है। जो आम भक्त भगवान के सामने कर रहा है, | विल बी डन, अपनी इच्छा पूरी करो। कह रहा है, भगवान! और शक उसे इतना भी है कि अब यह लड़के - इसलिए उसके भगवान का संबोधन अभी सार्थक नहीं है। को नौकरी नहीं लग रही है...! | क्योंकि वह संबोधनों के बाद भी निर्णय खुद ले रहा है। वह कह जीसस सूली पर आखिरी क्षण में, जब हाथ में उनके खीले ठोंक रहा है, मैं युद्ध नहीं करूंगा। कह रहा है, भगवान! कह रहा है, मैं दिए गए; तो उनके मुंह से एक आवाज निकल गई जोर से कि हे युद्ध नहीं करूंगा। इस पर कृष्ण हंसें और कहें कि तू बड़ी विरोधी भगवान, यह क्या दिखला रहा है! यह क्या करवा रहा है ! एक क्षण बातें बोल रहा है, तो उचित ही है। को जीसस के मुंह से निकल गया, यह क्या करवा रहा है! शेष संध्या बात करेंगे। मतलब क्या हुआ? शिकायत हो गई। मतलब क्या हुआ? मतलब यह हुआ कि जीसस कुछ और देखना चाहते थे और कुछ और हो रहा है। मतलब यह हुआ कि समर्पण नहीं है; मतलब यह हुआ कि भगवान के हाथों में लगाम नहीं है; मतलब यह हुआ कि 85
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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