SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शांति पाठ का द्वार, विराट सत्य और प्रभु का आसरा एक, जो मैंने इस सूत्र के संबंध में कहा, उसे याद रखेंगे तो ये तीनों बातें एकदम समझ में आ जाएंगी। एक, इंद्रिय-निग्रह। जितना कम देख सकें, उतना ध्यान में गहराई आ जाएगी। जितना कम सुनें, जितना कम बोलें, जितना कम छुएं, जितना कम खाएं-इसका खयाल करें सात दिन। जिन मित्रों में समझ हो, वे पूर्ण मौन ले लें सात दिन के लिए। जिनमें नासमझी की मात्रा काफी हो, वे भी इतनी समझदारी करें कि अल्पतम, मिनिमम बोलने का संकल्प कर लें। एकदम जरूरी होगा, कि मुझे प्यास लगी, इतना न कहकर, प्यास, इतना ही कह दूंगा। कागज पर लिखकर बता दें। गूंगे बन जाएं, बहरे बन जाएं, अंधे बन जाएं-सात दिन के लिए। आंख के लिए पट्टियां सुबह आपको मिल जाएंगी, वह आप आंख पर पट्टियां बांध लें। उनको जितना बन सके उतना ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें। राह पर चलते वक्त थोड़ी सी सरका लें, चार फीट से ज्यादा दिखाई न पड़े। बस, उतने से चलने का काम पूरा हो जाएगा। बस्ती में भी जाएं, तो वैसे ही जाएं। लोग हंसेंगे, उससे बहुत फायदा होगा। ____ हम सबको दूसरों पर हंसने की आदत होती है। हम सब कोशिश में रहते हैं कि किसी पर हम हंसें। कभी इससे उलटा करना चाहिए। दूसरों को भी मौका देना चाहिए। और ऐसी कोशिश करनी चाहिए कि दूसरे आप पर हंसें। __ और ध्यान रहे, जब आप दूसरे पर हंसते हैं, तो बिलकुल मूछित होते हैं। और जब दूसरे आप पर हंसते हैं और आप चुपचाप बीच में खड़े होते हैं, तो बड़ा जागरण और चैतन्य पैदा होता है। __आंख पर पट्टी बांध लेनी है। रूई के फोहे कल आपको मिल जाएंगे, वे कान में लगा लेने हैं। जब यहां मैं बोलूंगा, तब आपको आंख पर पट्टी और फोहे नहीं रखने। ध्यान में सुबह आपको आंख पर पट्टी और कान में फोहे रखने हैं। ___ दोपहर में चार से पांच बजे तक जो दोपहर की बैठक होगी, उसमें आधा घंटा कीर्तन होगा। सबको सम्मिलित होना है। आधा घंटा कीर्तन चलेगा, उस कीर्तन में बिलकुल दीवाने और पागल होकर नाच और गा लेना है। फिर आधा घंटा मौन होगा। कीर्तन के बाद आधा घंटा मौन हो जाएगा। कीर्तन के बाद आंख पर पट्टी बांध लेनी है, कान अपना बंद कर लेना है और मौन बैठ जाना है। उस आधा घंटा मौन में फिर कोइ अभिव्यक्ति. कोई मैनिफेस्टेशन नहीं। कुछ भी नहीं। न आवाज करनी है, न रोना है, न चिल्लाना है, न हंसना है। बिलकुल चुप, मुर्दे की तरह पड़े रह जाना है। वह हंसना, चिल्लाना, गाना, रोना-आधा घंटा कीर्तन में परा निकाल लेना है। जो परा निकाल लेगा. वही आधा घंटा मौन हो पाएगा। अगर आपने बचाया, तो वह आधा घंटे में निकलेगा, फिर वह आपकी जिम्मेवारी है। आधा घंटा कीर्तन में पूरी तरह नाच-कूदकर कैथार्सिस कर लेनी है, सब फेंक देना है बाहर। फिर आधा घंटा बिलकुल मुर्दे की तरह पड़ जाना है, बैठ जाना है। जैसा आपका मन हो, बैठना हो बैठे...। उस आधा घंटे में कोई अभिव्यक्ति नहीं। कोई आवाज नहीं, कोई हिलना-डुलना नहीं, शरीर का कंपन नहीं। सब शांत कर देना है-शरीर भी, मन भी, वाणी भी—सब शांत कर देना है। 23 V
SR No.002398
Book TitleNirvan Upnishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1992
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy