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________________ निर्वाण रहस्य अर्थात सम्यक संन्यास, ब्रह्म जैसी चर्या और सर्व देहनाश ऋषि कह रहा है, ब्रह्मचर्य आश्रम में, फिर वानप्रस्थ में अध्ययन से फलित सर्व त्याग ही संन्यास है। इस देश में हमने आदमी के जीवन को आश्रमों में विभक्त किया था। शायद मनुष्य जाति के इतिहास में हमारा प्रयोग अकेला और अनूठा था जिसमें हमने आदमी की जिंदगी को खंडों में बांटा था और बड़ी वैज्ञानिक व्यवस्था से बांटा था। अगर सौ वर्ष हम आदमी की औसत उम्र मान लें, तो हमने चार टुकड़े तोड़ दिए थे पच्चीस-पच्चीस वर्षों के। पच्चीस वर्ष के पहले टुकड़े को हम ब्रह्मचर्य आश्रम कहते थे। इन पच्चीस वर्षों में व्यक्ति को अपनी समस्त शक्ति को जगाकर संगृहीत करना ही लक्ष्य था। इसलिए कि जब वह गृहस्थ बनेगा, तो उसके पास इतनी ऊर्जा होनी चाहिए कि वह जीवन के समस्त भोगों को जान पाए। ये भारत के मनीषी दुस्साहसी थे, भगोड़े नहीं थे। यह पच्चीस वर्ष के ब्रह्मचर्य का समय इसलिए कि ताकि व्यक्ति इतनी शक्ति-संपन्नता से भोग के जीवन में जाए कि भोग को अंतिम किनारे तक छू सके-टु द आप्टीमम। क्योंकि ऋषियों ने जाना था यह सत्य कि जिस बात को हम पूरा जान लें, उससे छुटकारा हो जाता है। अगर पाप से भी छुटकारा चाहिए हो, तो उसे पूरा जान लेना जरूरी है। आधा जिसने जाना है, उसके मन में लगाव कायम रह ही जाता है कि पता नहीं, वह जो आधा शेष था, वहां न मालूम क्या होगा। . मुल्ला नसरुद्दीन मर रहा है। पुरोहित आ गए हैं उसे विदा करने को। वे उससे कहते हैं, पश्चात्ताप करो। तुमने जो पाप किए हों, उनके लिए पश्चात्ताप करो। नसरुद्दीन आंख खोलता है और कहता है, पश्चात्ताप मैं कर रहा हूं, आलरेडी देयर इज़ रिपेन्टेंस इन मी। लेकिन थोड़ा सा फर्क है मुझमें और आप में। मैं उन पापों का पश्चात्ताप कर रहा हूं, जो मैं नहीं कर पाया। मन में बड़ी पीड़ा रह गई है कि शायद उनको भी कर लेता. तो पता नहीं क्या पा जाता। जो किए. उनसे तो कछ नहीं मिला। लेकिन क्या यह जरूरी है कि जो नहीं किए, उन्हें करता तो उनसे भी न मिलता? जो किए उनसे नहीं मिला। लेकिन जो नहीं किए उनमें खजाने नहीं छिपे होंगे, यह कौन मुझे आज मरते क्षण में आश्वासन देगा! पश्चात्ताप कर रहा हूं। ___नसरुद्दीन जब सौ वर्ष का हुआ था, तो उसकी सौवीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। गांव के पत्रकार उसके पास आए थे। और उन्होंने नसरुद्दीन से कहा कि अगर तुम्हें दुबारा जिंदगी मिले, तो क्या तुम वे ही भूलें फिर करोगे जो तुमने इस जिंदगी में की? नसरुद्दीन ने कहा, वे तो करूंगा ही; जो नहीं कर पाया, वे भी करूंगा। एक बात में फर्क करूंगा कि मैंने इस बार जिंदगी में भूलें बड़ी देर से शुरू की थीं। अगली बार मैं जल्दी शुरू कर दूंगा। पत्रकारों ने पूछा कि तुम्हारी इतनी लंबी उम्र का राज क्या है ? सौ वर्ष! तो नसरुद्दीन ने कहा कि मैंने शराब भी नहीं छुई, मैंने धूम्रपान भी नहीं किया, मैंने किसी लड़की का स्पर्श भी नहीं किया-जब तक कि मैं दस वर्ष का नहीं हो गया। इसके सिवाय और तो मुझे लंबी उम्र का कोई रहस्य मालूम नहीं पड़ता। जब तक कि मैं दस वर्ष का नहीं हो गया! और कहता है कि अगर दोबारा जिंदगी मिले, तो जो भूलें मैंने देर से शुरू की हैं, वे जरा मैं जल्दी शुरू करूंगा! आदमी पछताता है उन पापों के लिए, जो उसने नहीं किए। आप उन पापों की याद नहीं करते, जो 291 7
SR No.002398
Book TitleNirvan Upnishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1992
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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