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________________ एस धम्मो सनंतनो बड़ी सीधी परिभाषा, गणित की तरह साफः 'जिसकी नाम-रूप में जरा भी ममता नहीं है...।' नाम-रूप का अर्थ होता है, मानसिक और शारीरिक। मनुष्य दो अवस्थाओं का पुंज है-मन और शरीर। सूक्ष्म पुंज मन; उसका नाम है-नाम। क्योंकि तुम्हारे सूक्ष्म पुंज मन का जो सबसे गहरा भाव है, वह है अहंकार-मैं। और जो स्थूल पुंज है शरीर, उसका नाम है-रूप। आदमी दो में डोलता रहता है-नाम-रूप। जिनको हम बड़े-बड़े आदमी कहते हैं, वे भी इस अर्थ में छोटे ही छोटे होते हैं। जिनको सामान्य जनता बड़े नेता कहती है, महात्मा कहती है, वे भी साधारणतः इन्हीं दो में बंधे होते हैं। और इन दो से जो मुक्त हो जाए, वही भिक्षु। परसों मैंने जयप्रकाश नारायण का एक वक्तव्य पढ़ा। उन्होंने बंबई में अपने मित्रों को धन्यवाद देते हुए कहा-जनता को धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं जनता का सदा-सदा के लिए अनुगृहीत रहूंगा, क्योंकि मेरे देश की जनता ने ही मेरे नाम और यश को दुनिया के कोनों-कोनों तक फैला दिया है। जयप्रकाश नारायण जैसा विचारशील व्यक्ति भी नाम और यश.-उसमें ही बंधा रह जाता है! धन्यवाद भी किस बात का दे रहे हो! इसलिए कि लोगों ने मेरे नाम और यश को दुनिया के कोनों-कोनों तक फैला दिया है। क्या होगा इससे? राजनीति की लड़ाई अक्सर सिद्धांतों की लड़ाई नहीं है। सिद्धांत तो सिर्फ आड़ होते हैं। असली लड़ाई तो अहंकारों की लड़ाई है। गहरी लड़ाई तो व्यक्तित्वों की लड़ाई है। यह कुछ कांग्रेस और जनता की लड़ाई कोई सिद्धांतों की लड़ाई नहीं है। यह सिर्फ व्यक्तित्वों की लड़ाई है। कौन प्रतिष्ठित होता है! कौन पद पर बैठता है! और इसीलिए दुश्मन तो दुश्मन होते ही हैं राजनीति में, मित्र भी दुश्मन होते हैं। क्योंकि जो पद पर बैठा है, उसके आसपास जो मित्र इकट्ठे होते हैं, वे भी कोशिश में लगे हैं कि कब धक्का दे दें! अब जगजीवनराम को मौका मिले, तो मोरारजी को धक्का नहीं देंगे? कि चरणसिंह को मौका मिले, तो धक्का नहीं देंगे? इनको धक्का नहीं देंगे, तो अपनी छाती में छुरा भुक जाएगा! वे जो पास खड़े हैं, वे भी धक्का देने को खड़े हैं। वे देख रहे हैं कि कब जरा कमजोरी का क्षण हो कि दे दो धक्का! राजनीति में शत्रु तो शत्रु होते ही हैं, मित्र भी शत्रु होते हैं। ___ जयप्रकाश नारायण ने मोरारजी को पद पर बिठाया। लेकिन अभी कुछ दिन पहले भोपाल में किसी ने मोरारजी को पूछा कि हमने सुना है कि अब जयप्रकाश नारायण महात्मा गांधी की अवस्था में पहुंच गए हैं! आप क्या कहते हैं? मोरारजी एकदम कहे: नहीं, कोई महात्मा गांधी की अवस्था में कभी नहीं पहुंच सकता। वे अद्वितीय पुरुष थे। और फिर जयप्रकाश नारायण ने ऐसा कोई दावा किया भी नहीं है। 20
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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