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________________ विराट की अभीप्सा के लिए ले जाना! नहीं, उन्होंने कहा, चिकित्सा के लिए। यह वहां जाकर और बिगड़ेगा। क्योंकि वहां और विकसित ड्रग उपलब्ध हो गए हैं। मैंने कहाः अमरीका ही ले जाओ, तो केलिफोर्निया ले जाना! गरीब के दुख हैं छोटे-मोटे। अमीर के दुख हैं और बड़े, क्योंकि वह ज्यादा दुख खरीद सकता है। उसका फैलाव बड़ा है। वह दुखों में चुनाव भी कर सकता है। यह दुख लें कि वह दुख लें! कौन सा दुख खरीदें? भारतीय दुख खरीदें कि विदेशी दुख खरीदें? किस तरह का दुख खरीदें? अब गरीब आदमी तो भारतीय दुख खरीद सकता है। अमीर आदमी विदेशी दुख खरीदेगा! गए पश्चिम और एक विदेशी स्त्री से विवाह कर लाए। यह विदेशी दुख है। यह बहुत कठिन दुख है। ___मेरे एक मित्र हैं प्रोफेसर। एक अमरीकन युवती से विवाह करके आ गए। अब बड़े...सात साल साथ रहे। मेरे पड़ोस में ही रहते थे। जब मैं विश्वविद्यालय में शिक्षक था, तब मेरे पास ही रहते थे। उनका दुख चौबीस घंटे वही। हर चीज में दुख! क्योंकि जब अमरीकन स्त्री से शादी की है, तो फिर अमरीकन लहजा चाहिए। अब अमरीकन स्त्री है, वह शराब भी पीएगी, सिगरेट भी पीएगी। अब यह इनको बहुत कठिन मालूम पड़े कि स्त्री और सिगरेट पीए! और इनके ही सामने फूंक रही है! और इनसे घर में काम भी करवाए। क्योंकि अमरीका में तो पचास-पचास प्रतिशत काम है। ___ ठीक भी है। जब अमरीकन स्त्री ली, तो अमरीकन दुख भी लेना पड़ेगा न! तो काम बांट दिया उसने। एक दिन मैं नाश्ता बनाऊंगी; एक दिन आप बनाएं। अब बना रहे हैं पकौड़े सुबह से! और आंखें उनकी धुआं खा रही हैं! _ वे मुझसे पूछते, क्या करूं! मैंने कहाः इसमें कुछ करना नहीं है। तुम विदेशी दुख लिए हो; तुम्हें देशी दुख नहीं जंचा। - फिर वह शाम को खेलने भी जाएगी टेनिस! इनको वह चिंता लगे कि वह टेनिस खेलने गयी है। मैंने कहा ः उसको खेलने दो। नहीं, खेलने की बात नहीं है, वे मुझसे कहें। वह वहां लोगों के गले में हाथ डालकर घूमती है! विदेशी दुख तो विदेशी दुख है! कठिनाइयां हैं। गरीब अपनी सीमा में जीता। किसी तरह अमीर हो जाता है, तब उसको पता चलता है कि यह तो मामला बिगड़ गया! यह कहां से कहां पहुंच गए! __यहां हमारे वैराग्य हैं; वे राधा के प्रेम में पड़ गए हैं। अब राधा है इटैलियन। इटैलियन मतलब : विदेशियों में भी विदेशी! अब उनको भारी कष्ट है। अब उनको चौबीस घंटे इसी की फिकर रहती है कि राधा कहां है! किससे बात कर रही है? किसके हाथ में हाथ डालकर घूमने चली गयी है? 95
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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