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________________ धम्मपद का पुनर्जन्म जैसी होती है। और जो व्यक्ति जानता है कि न तो मैं जवान हूं, न बूढ़ा हूं, न बच्चा हूं-वह कहां की सोचे! जो जानता है कि बचपन भी शरीर का, जवानी भी शरीर की, बुढ़ापा भी शरीर का; जो जानता है, चैतन्य न तो बच्चा होता, न जवान होता, न बूढ़ा होगा; वह कहां की सोचे? उसके पास सोचने को कुछ नहीं बचता। उसका सोचना खो जाता है। उसका समय विलीन हो जाता है। इसी क्षण में प्रसाद होता है। ___ जब तुम जानते हो : तुम आत्मा हो, कालातीत; जब तुम जानते होः समय के पार तुम्हारा अस्तित्व है, यह समय की धारा के पार तुम्हारा होना है; जिस दिन तुम ऐसा जानते हो—उस दिन प्रसाद; उस दिन आनंद; उस दिन समाधि; उस दिन निर्वाण। उस समाधि की दशा में कोई स्मरण नहीं होताः न अतीत का, न भविष्य का, न वर्तमान का। दुख गया-समय घटा। सुख गया—समय मिटा। इसी को खोजो। इसी परम दशा को खोजो, जहां समय मिट जाए। समय ही जंजाल है; समय ही संसार है। और मिट जाता है समय। जब तुम ध्यान में बिलकुल शांत हो जाते हो, समय मिट जाता है। इसलिए ध्यान के बाद जब तुम वापस आओगे, और कोई तुमसे पूछे कि कितनी देर ध्यान में रहे, तो तुम उत्तर न दे पाओगे। कोई ध्यानी कभी नहीं दे पाया। हां, घड़ी देखकर तुम बता सकते हो कि जब ध्यान में गया था, तब नौ बजे थे। अब साढ़े नौ बजे हैं। तो घड़ी में आधा घंटा हुआ। . लेकिन कोई तुमसे पूछे : घड़ी की छोड़ो, क्योंकि वहां तो भीतर घड़ी नहीं थी। यह तो तुम लौटकर बता रहे हो। जब गए, तब की बताते हो। जब आए, तब की बताते हो। यह आधा घंटे में भीतर कितना समय बीता? तो ध्यानी नहीं कह सकता कि कितना समय बीता। वह कहेगा ः कोई उपाय नहीं कहने का। वहां समय होता ही नहीं। __ जीसस से उनके एक शिष्य ने पूछा है, कि तुम्हारे प्रभु के राज्य में सब से खास बात क्या होगी? तो जीसस ने कहाः देअर शैल बी टाइम नो लांगर-वहां समय नहीं होगा। यह खास बात कही जीसस ने। बड़ी अजीब सी बात कही। शायद पूछने वाले ने सोचा भी नहीं होगा सपने में कि जीसस से यह उत्तर मिलेगा—कि वहां समय नहीं होगा। ___ मगर इस उत्तर में सब आ गया। जहां समय नहीं, वहां मन नहीं। जहां मन नहीं, वहां वासना नहीं, तृष्णा नहीं। जहां वासना नहीं, तृष्णा नहीं, वहां संसार नहीं। समय मिटा, तो सब मिट गया। समय हमारा सपना है। दुनिया में दो तरह के ढंग हैं होने के। एक तो समय में होना; वह संसार। और एक समय के बाहर-बाहर होना; वही संन्यास।
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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