SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धम्मपद का पुनर्जन्म पहला प्रश्न: भगवान बुद्ध बार-बार कहते हैं कि यही बुद्धों का शासन है। आप भी प्रायः इसी भाषा में बोलते हैं। तो क्या एक बुद्ध सभी बुद्धों की ओर से बोल सकता है? यदि हां, तो अतीत में हुए बुद्धों में मतभेद क्यों रहा? वद्ध त्व का स्वाद एक है; मतभेद दिखता हो, तो तुम्हारे कारण दिखता होगा। तुम्हारी व्याख्या के कारण मतभेद निर्मित होता होगा। तुम्हारी समझ विकृति लाती होगी। अन्यथा बुद्धों ने सदा एक ही बात कही है। भाषाएं अलग हैं; क्योंकि युग अलग होते हैं, तो भाषा बदल जाती है। शब्द भिन्न हैं, लेकिन भाव भिन्न नहीं हैं। भाव भिन्न हो ही नहीं सकता। इस मनोदशा से खोजने जाओगे, तो अभेद पाओगे। लेकिन लोगों को सिखाया गया है कि भेद है। भेद ही नहीं, विपरीतता है। जैन घर में पैदा हुए, तो महावीर और बुद्ध में भेद है। महावीर ठीक, बुद्ध गलत। बौद्ध घर में पैदा हुए, तो बुद्ध ठीक; महावीर गलत, कृष्ण गलत। हिंदू घर में पैदा हुए, तो मोहम्मद गलत, क्राइस्ट गलत। 35
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy