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________________ एस धम्मो सनंतनो मत, चिट्ठी-पत्री भी मत लिखो। फिर उसके बाद भी अगर प्रेम बचेगा, तो सोचेंगे। ___ असहाय, कमजोर आदमी से किस तरह की अपेक्षाएं! और दो साल में यह आदमी सब तरह से अपने को दबाएगा, रोकेगा, कठोर हो जाएगा। शायद इसके भीतर जो प्रेम का अंकुर निकला था-ताजा, कोमल-वह मर ही जाएगा। दो साल बाद यह भी सोचेगा कि कहां झंझट में पड़ना! अब तो अंकुर भी मर चुका। अब महात्मा ही क्यों न बन जाओ! गांधी स्वयं के भोजन के प्रति अति कठोर थे, इसलिए दूसरों के भोजन के प्रति भी अति कठोर थे। अपने प्रति कठोर थे, तो दूसरे के प्रति कठोर थे। तुम्हारे महात्मा इसीलिए तो तुम्हारे प्रति बहुत कठोर हैं, क्योंकि अपने प्रति बहुत कठोर हैं। तुम्हारे महात्मा अगर तुम्हारी तरफ इस तरह देखते हैं कि तुम पापी हो, तो कुछ आश्चर्य नहीं। क्योंकि वे देखते हैं : हम उपवास कर रहे हैं, तुम मजे से भोजन कर रहे हो! हम शरीर सुखा रहे हैं, और तुम्हारा शरीर भरा-पूरा है! और हम नंगे बैठे हैं, और तुम सुंदर कपड़े पहने बैठे हो! और हमारे पास कुछ भी नहीं; तुम्हारे पास सब है! तुम महापापी हो। ___ इसलिए तुम्हारे महात्माओं की अंगुली तुम्हें महापापी सिद्ध करती रहती है। और तुम्हारे महात्मा बैठे-बैठे मजा किस बात का लेते हैं? एक ही बात का कि सब सड़ेंगे नर्क में। सिवाय उनके और सब नर्क जा रहे हैं। इससे राहत मिलती है मन को बड़ी-कि ठीक है; आज भोग लो। कल तो नर्क में सड़ोगे, तब याद आएगी कि महात्मा ने कितना चेताया था, फिर भी नहीं चेते! हम ऊपर बैठेंगे स्वर्ग में, और तुम नर्क में सड़ोगे, तब तुम जानोगे असली बात; तब राज तुम्हें पता चलेगा। ___ लेकिन जो आदमी दूसरों को नर्क में सड़ा रहा है, यह उनके पहले नर्क पहुंच जाएगा। तुमको, महात्मा जी तुम्हारे, अगुआ की तरह मिलेंगे, मार्गदर्शन करते हुए मिलेंगे नर्क के रास्ते पर। यहां भी तुम्हारे अगुआ हैं, वहां भी तुम्हारे अगुआ होंगे! भेद नहीं पड़ने वाला है। क्योंकि जो आदमी कठोर है, वह स्वर्ग नहीं जा सकता। जो आदमी कठोर है, वह सुख की उमंग से ही नहीं भर सकता। और जो आदमी अपने प्रति कठोर है, वह सबके प्रति कठोर हो जाता है। तुम देखते हो : अडोल्फ हिटलर में और महात्मा गांधी में बहुत फर्क नहीं है। अडोल्फ हिटलर भी अपने प्रति उतना ही कठोर था, जितना महात्मा गांधी। हिंदुस्तान में होता, तो हम कहते, महात्मा हिटलर! शाकाहारी था। कभी मांसाहार नहीं किया। ब्रह्म-मुहूर्त में उठता था, याद रखना। बिलकुल हिंदू था! सूरज उग आए-कभी नहीं सोया उसके बाद। सूरज उगने के पहले उठ आता था। न चाय पीता था, न सिगरेट पीता था, न शराब पीता था। और महात्मा में क्या गुण होने चाहिए? - मगर यह दुष्ट आदमी सारी दुनिया को भयंकर विनाश में ले गया। इसकी कठोरता! यह अपने पर कठोर था; इसने पूरी जर्मन जाति को सेना-स्थल में बदल 226
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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