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________________ एस धम्मो सनंतनो तब तुम्हारी गीता और बाइबिल में दबे हुए फूल हो जाएंगे। तब वे मुर्दा होंगे। लगेंगे कुछ-कुछ वैसे जैसा जीवित फूल था, बस आभास मात्र होगा—न उनमें सुगंध होगी, न उनमें प्राण होंगे, न उनमें बढ़ने की क्षमता होगी। खयाल रखना, जीवन का लक्षण यही है जिसमें बढ़ने की क्षमता हो। अब धम्मपद बढ़ नहीं सकता अपने आप। हां, मेरे साथ चल सकता है, क्योंकि मैं जीवित हूं। जीवित आदमी के साथ अगर शास्त्र भी हो ले, तो शास्त्र भी जीवित हो जाता है। उसमें भी पैर लग जाते हैं, पंख लग जाते हैं। ___ तुम धोखे में आ जाओ सूखे फूल के, तुम शायद कहो कि यह गुलाब का फूल है, लेकिन आदमी को छोड़कर और कोई धोखे में न आएगा। ऐसा हुआ, सम्राट सोलोमन के दरबार में एक युवती आयी। वह इथोपिया की साम्राज्ञी थी। और उसने खबर सुनी थी कि सोलोमन संसार का सबसे बुद्धिमान आदमी है। हिंदुस्तान में भी हम कहते हैं न किसी को, बहुत बुद्धिमानी करने लगे तो कहते हैं, बड़े सुलेमान हो गए! वह सोलोमन की ही कहानी है। हजारों साल बीत गए सुलेमान को हुए, लेकिन सुलेमान की बुद्धिमत्ता कहावत बन गयी, सारी दुनिया में कहावत बन गयी। वह स्त्री उनका परीक्षण करना चाहती थी। वह इथोपिया की रानी उनके प्रेम में थी। लेकिन वह जानना चाहती थी, सच में वह बुद्धिमान, इतने बुद्धिमान हैं? उसने क्या किया, पता है? वह अपने एक हाथ में असली फूल और एक हाथ में नकली फूल लेकर आयी, एक हाथ में कागज का बना हुआ गुलाब और एक हाथ में असली गुलाब। और बड़े से बड़े कलाकारों ने बनाया था वह कागज का गुलाब। बड़ा मुश्किल था तय करना। और वह आकर सम्राट के थोड़ी दूर खड़ी हो गयी सिंहासन के सामने और उसने कहा कि मैं तुम्हें बुद्धिमान मानूंगी, अगर तुम बता दो कि मेरे कौन से हाथ में असली गुलाब है और कौन से हाथ में नकली गुलाब है। और नकली गुलाब इतना सुंदर था और इतना असली जैसा था कि सोलोमन थोड़ा चिंतित हुआ। उसने कहा, जरूर बताऊंगा। उसने कहा अपने दरबारियों को कि सब द्वार-दरवाजे खोल दो, सब खिड़कियां खोल दो। बाहर बगीचा है। सारे द्वार-दरवाजे खोल दिए। उस साम्राज्ञी ने पूछा, यह आप क्यों कर रहे हैं? सोलोमन ने कहा, थोड़ा प्रकाश, ताकि मैं ठीक से देख सकूँ। लेकिन प्रकाश भी सहयोगी न हुआ। एक और बात सहयोगी हो गयी। दो मधुमक्खियां बगीचे से कमरे में प्रवेश कर गयीं। वे दोनों जाकर असली गुलाब पर बैठ गयीं। सोलोमन ने कहा कि यह असली गुलाब है। दरबारी भी चकित हुए, साम्राज्ञी भी चकित हुई। उसने पूछा, आप जाने कैसे? उसने कहा कि मैं नहीं जाना, आदमी को धोखा दिया जा सकता है, मगर मधुमक्खियों को कैसे धोखा दोगे? वे दो मधुमक्खियां जो बैठ गयी हैं असली 102
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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