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________________ एस धम्मो सनंतनो रहे हो और एक सुंदर स्त्री तुम्हें दिखायी पड़ जाए, फिर तुम्हें कुछ और दिखायी पड़ता है? फिर कुछ दिखायी नहीं पड़ता। फिर कौन गुजर रहा है, कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, सब धूमिल हो जाता है। वह सुंदर रूप आंखों को बांध लेता है। तुम्हें राह पर पड़ा हीरा दिखायी पड़ जाए, फिर तुम्हें कुछ और दिखायी पड़ेगा? फिर कुछ भी दिखायी न पड़ेगा। इस अंधेपन के कारण हम बुद्धों से वंचित हो जाते हैं। और बुद्ध के बुद्ध रह जाते हैं। उसे भगवान दिखायी ही न पड़े। न देखा उसने इस विशाल भिक्षुओं के संघ को। चलो एक भगवान को न देखा हो, मगर ये हजारों पीत वस्त्रों में आए हुए भिक्षु ! ये भी उसे दिखायी न पड़े। उसकी आंखों में कुछ और ही भरा है। उसकी आंखें भरी हैं, खाली नहीं। आंखें जब खाली होती हैं तब कुछ दिखायी पड़ता है, भरी आंखों में कुछ दिखायी नहीं पड़ता। उसे तो अपनी पत्नी ही दिखायी पड़ रही है। शायद उसे नाराजगी भी आ रही हो कि ये किस तरह के लोग आ गए कि मेरी पत्नी को इनके पैरों में झुकना पड़ रहा है। मेरी पत्नी और किसी के पैरों में झुक रही है! शायद उसे इससे अड़चन भी हुई हो। ये कौन लोग हैं! इन्होंने समझा क्या है अपने आपको! वह खुद तो उठा नहीं झुकने, उसे तो दिखायी नहीं पड़ रहा है कुछ, शायद पत्नी को झुकते देखकर उसे बेचैनी बढ़ रही हो। ऐसा मेरे पास लोग आ जाते हैं। एक महिला मेरे पास आती है, उसके पति नाराज हैं। पति कहते हैं कि मेरे होते हुए तुझे कहीं जाने की क्या जरूरत है? तुझे जो पूछना है, मुझसे पूछ। और तुझे जो जानना है, मुझसे जान। . ___ अब यह भी खूब अनूठी बात है। कोई पत्नी कभी अपने पति से कुछ पूछ सकती है! और पत्नी कभी मान सकती है कि पति में भी कोई अकल हो सकती है! अकल ही होती तो उसको तुमने चुना होता! अकल ही होती तो तुम उसके जाल में फंसते! अकल ही होती तो तुम पति होते! दुनिया में कोई और तुम्हें मान ले, लेकिन पत्नी तो नहीं मान सकती कि तुममें कुछ अकल है। ___अब पति उससे कह रहा है कि हमसे पूछ लो। जो भी जानना है, हमसे जान लो। और वह पति को भलीभांति जानती है-पत्नी से भलीभांति और कौन पति को जानता है ! वह तुम्हारी हर कमजोरी को जानती है। तुम्हारी हर सीमा को जानती है। वह तुम्हारी बटनों को दबाना जानती है। जरा सी बटन दबा दे, तुम क्रोधित हो जाते हो। जरा सी बटन दबा दे, तुम प्रभावित हो जाते हो। तुम उसके हाथ की कठपुतली हो और तुम उससे कह रहे हो कि मुझसे पूछ। तो मैंने उनकी पत्नी को कहा कि तुम उन्हीं से पूछ क्यों नहीं लेती, तू यहां क्यों परेशान होती है—जब वह इतने उससे कहते हैं! उसने अपना माथा ठोंक लिया, उसने कहा, उनसे पूछकर क्या नरक जाना है! वह खुद तो जा ही रहे हैं, मुझको भी ले जाएंगे। और उनके पास है क्या जो मैं उनसे पूछे ? 10
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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