SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो उतना ही सामान है, उतना ही साज है, जितना बुद्ध के पास। अगर बुद्ध के जीवन में संगीत पैदा हो सका, तुम्हारे जीवन में भी हो सकेगा। इसी बात का नाम आस्था है। __ आस्था का अर्थ यह नहीं है कि तुम भगवान पर भरोसा करो। आस्था का इतना ही अर्थ है कि तुम भरोसा करो कि सुख संभव है, तुम भरोसा करो कि आनंद संभव है, तुम भरोसा करो कि मोक्ष संभव है। बिना प्रयोग किए असंभव मत कहो। अवहेलना मत करो। क्योंकि एक-एक बूंद से फिर घड़ा भरता है-पुण्य का भी, पाप का भी। मानी, देख न कर नादानी मातम का तम छाया, माना अंतिम सत्य इसे यदि जाना तो तूने जीवन की अब तक आधी सुनी कहानी मानी, देख न कर नादानी दुख है, माना। लेकिन अगर इसे ही तुमने सारा जीवन समझ लिया, तो तुमने सिर्फ आधी कहानी सुनी जीवन की। दुख है ही इसीलिए कि सुख हो सकता है। अंधेरा है ही इसीलिए कि प्रकाश हो सकता है। बेहोशी है ही इसीलिए कि जागरण हो सकता है। विपरीत संभव है। मानी, देख न कर नादानी मातम का तम छाया, माना अंतिम सत्य इसे यदि जाना तो तूने जीवन की अब तक आधी सुनी कहानी मानी, देख न कर नादानी दुख है, लेकिन इसे तुम जीवन का अंत मत मान लेना। पाप है, लेकिन इसे तुम जीवन का अंत मत मान लेना। भटकन है, भटकाव है, लेकिन इसे तुम जीवन की अंतिम परिणति मत मान लेना। इसे तुम आत्यंतिक मत मान लेना। यह सब बीच की यात्रा है। नजर रहे लगी उस दूर मंदिर के शिखर पर, प्रकाशोज्ज्वल मंदिर के स्वर्ण-शिखर तुम्हारी आंखों से कभी ओझल न हों। कितने ही कांटे हों मार्ग पर, लेकिन संभावनाओं के फूल कभी तुम इनकार मत करना। क्योंकि कांटे नहीं रोकते, अगर संभावनाओं के फूल को ही तुमने इनकार कर दिया, तो तुम रुक जाओगे। और जहां भी तुम हो, दूर जाना है। जहां भी तुम हो, वहां पड़ाव हो सकता है; राह है, वहां रुक नहीं जाना है। ओ मछली सरवर तीर की 76
SR No.002382
Book TitleDhammapada 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy