SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो उसे कसते रहना। दूसरों का अनुकरण करने का कुछ बुनियादी कारण है। और वह कारण यह है कि अपना ही अनुकरण करने में हमें आश्वस्तता नहीं मालूम होती। पता नहीं ठीक हों कि न हों। दूसरों ने तो करके दिखा दिया है। यह देखो महावीर पहुंच गए। यह देखो बुद्ध पहुंच गए। ये तो पहुंच गए। इनका पहुंचना तो प्रामाणिक है। अब हम चलेंगे, अंधेरे में टटोलेंगे, पता नहीं पहुंचें कि भटकें। बेहतर, किसी के पीछे हो लें। पीछे होने का कारण यह है कि तुम सोचते हो, दूसरा पहुंच गया, तो अब हम सिर्फ सहारा पकड़कर पहुंच जाएंगे। लेकिन दूसरा अपने स्वभाव को पहुंचा। तुम अपने स्वभाव को पहुंचने थे। बुद्ध के पीछे चलोगे तो तुम भी वहीं पहुंच जाओगे जहां बुद्ध पहुंचे। लेकिन बुद्ध के स्वभाव से उसका तालमेल था, संगीत था, समन्वय था; तुम पहुँचकर भी बेचैन रहोगे। इसलिए अनुकरण से कोई कभी नहीं पहुंचता, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय है, मौलिक है। समझो सबसे, करो अपनी। और करने का साहस रखो। भूल से डरो मत। जो भूल से डरा, वह जल्दी ही अनुयायी बन जाता है। अनुयायी बनने का मतलब ही यह है कि भूल करने की हम हिम्मत नहीं करते। ... प्रकाश मेरे अग्रजों का है परंपरा का है पोढ़ा है, खरा है अंधकार मेरा है कच्चा है, हरा है प्रकाश मेरे अग्रजों का है परंपरा का है पोढ़ा है, खरा है अंधकार मेरा है कच्चा है, हरा है लेकिन मैं तुमसे कहता हूं, तुम्हारा अंधकार ही तुम्हारे काम आएगा। दूसरों का उधार प्रकाश काम न आएगा। उधार प्रकाश अपने अंधकार से भी बदतर है। क्योंकि उससे तुम्हारे जीवन का कोई तालमेल ही न बैठेगा। तुम्हारी टोपी ही तुम्हारे सिर पर बैठेगी। दूसरों के जूते काटेंगे, कभी ढीले पड़ जाएंगे, कभी छोटे पड़ जाएंगे। तुम्हारे पैर का जूता तुम्हीं को खोजना, बनाना है। तुम भीतर कुछ इतने अनूठे हो कि तुम जैसा न कभी कोई हुआ है, न कभी कोई होगा। __इसलिए उधार कपड़े मत मांगना। जीने की हिम्मत, साहस रखना; तो ही तुम दुर्घटना से बचोगे। अन्यथा दुर्घटना सौ में निन्यानबे मौकों पर करीब-करीब निश्चित 24
SR No.002382
Book TitleDhammapada 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy