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________________ ताओ की साधना-योग के संदर्भ में भी...एक आदमी माला लेकर फेरने बैठ जाता है। यह सिर्फ बैठने का बहाना है। माला तो सिर्फ इसलिए है कि आप बिना माला के नहीं बैठ सकते। अब यह भीतर का बच्चा है, वह बेचैन है। वह कहता है, कम से कम गुरिए ही फिराएं। कुछ होना तो चाहिए। मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं, ध्यान करेंगे, लेकिन कुछ बताइए कि करें क्या? अगर उनसे कहो कि कुछ भी मत करो, यही ध्यान है; तो वे कहते हैं कि यह कैसे होगा? कुछ तो सहारा चाहिए! सहारा का मतलब यह है कि उन्हें कुछ करने को बहाना चाहिए। राम-राम जपें, माला फेरें, कुछ भी करें! करें तो वे बैठ सकते हैं। लीहत्जू कहता है, असली उपलब्धि तो बैठने से होती है। यह तो बहाना है, आप खाली नहीं बैठ सकते, तो हम कुछ पकड़ा देते हैं कि इसको करके बैठे रहो। अगर बिना ही कुछ किए बैठ जाते, तो इतनी भी मेहनत न उठानी पड़ती और उपलब्धि हो जाती। लेकिन बैठना, सिर्फ बैठ जाना, बड़ी घटना है, बड़ी हैपनिंग है—बड़ी हैपनिंग है! एक क्षण को भी कोई सिर्फ बैठा रह जाए, उसका मतलब है कोई गति न रही मन में, कोई चंचलता न रही, कोई यात्रा न रही, कोई गंतव्य न रहा। शक्ति अपने में ठहर गई और रुक गई। सब मौन और शांत हो गया भीतर। जहां से हम आए थे, उसी केंद्र पर वापस पहुंच गए। विलीन हो गए अपने में ही। एक क्षण को भी यह घटना घट जाए, तो वही क्षण सत्य का क्षण है—दि मोमेंट ऑफ ट्रथ! वही क्षण! यह दो तरह से घट सकता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप कहां से छलांग लेंगे। योग भी मार्ग है, ताओ भी। एक मित्र ने पूछा है कि लाओत्से द्वारा अंतरस्थ केंद्र व उसकी भूख का विकास साधक कैसे करे, इस पर कुछ कहें। एक तो, कभी आंख बंद करके बैठे और खयाल करें कि मेरे शरीर का केंद्र कहां है? व्हेयर इज़ दि सेंटर ऑफ दि बॉडी? आप इतने दिन जी लिए हैं, लेकिन आपने अपने शरीर का केंद्र कभी खोजा नहीं होगा। और यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हमें अपने शरीर के केंद्र का भी पता न हो। हमारा शरीर, उसकी कील कहां है? अधिक लोगों को यह कील खोपड़ी में मालूम पड़ेगी। क्योंकि वहीं चलता रहता है कारोबार चौबीस घंटे। दुकान वहां खुली रहती है। बाजार वहां भरा रहता है। अधिक लोगों को ऐसा लगेगा कि कहीं खोपड़ी में ही। लेकिन खोपड़ी बहुत बाद में विकसित होती है। मां के पेट में जिस दिन बच्चे का निर्माण होता है, उस दिन मस्तिष्क नहीं होता। फिर भी जीवन होता है। इसलिए जो बाद में आता है, वह केंद्र नहीं हो सकता। कुछ लोगों को, जो भावपूर्ण हैं—स्त्रियां हैं, कवि हैं, चित्रकार हैं, मूर्तिकार हैं-उनको लगेगा कि हृदय केंद्र है। क्योंकि उन्होंने जब भी कुछ जाना है, सौंदर्य, प्रेम, तो उन्हें हृदय पर ही उसका आघात लगा है। इसलिए जब भी लोग प्रेम की बात करेंगे, तो हृदय पर हाथ रख लेंगे। प्रेम में चोट खाएंगे, तो हृदय पर हाथ रख लेंगे। तो जिन लोगों • का भावना से भरा हुआ चित्त है, वे हृदय को केंद्र बताएंगे। लेकिन हृदय भी जन्म के साथ नहीं धड़कता। बच्चा जब पैदा हो जाता है, तब पहली श्वास लेता है और हृदय की धड़कन होती है। नौ महीने तो हृदय धड़कता ही नहीं। मां के हृदय की धड़कन को ही बच्चा सुनता रहता है, अपना उसके पास कोई हृदय नहीं होता। और इसलिए बच्चे को टिक-टिक की कोई भी आवाज आप सुना दें, वह जल्दी से सो जाता है। क्योंकि नौ महीने वह सोता रहा और टिक-टिक की आवाज, मां के हृदय की धड़कन, उसे सुनाई पड़ती रही। इसलिए टिक-टिक की आवाज किसी को भी नींद ला देती है। पानी टपक रहा हो टीन पर आपके मकान के, टप-टप-टप, नींद आनी शुरू हो जाती है। कमरे में कुछ न हो, सिर्फ घड़ी की आवाज आ रही हो, आप 121
SR No.002372
Book TitleTao Upnishad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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