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________________ * पुण्यम् * . [ ४० ] पुराकृतानां पुण्यानां, प्रभावादापदाऽप्यहो। पराभवति नो जन्तूच्छिशुत्वे कृष्णविष्णुवत् ॥ ४० ॥ पदच्छेदः-पुराकृतानां पुण्यानां प्रभावाद् आपदा अपि अहो पराभवति नो जन्तूच्छिशुत्वे कृष्णविष्णुवत् । अन्वयः-अहो आपदा अपि पुराकृतानां पुण्यानां प्रभावात् जन्तून् नो पराभवति शिशुत्वे कृष्णविष्णुवत् ।। ___ शब्दार्थः-आपदापि आपत्ति भी, पुराकृतानां पूर्व में किये गये, पुण्यानां पुण्यों के, प्रभावात्=प्रभाव से, जन्तून =जीवों को, नो=नहीं, पराभवति पराजित करती है। शिशुत्वे बाल्यावस्था में, कृष्णविष्णुवद्=कृष्ण और विष्णु की तरह। श्लोकार्थः-पूर्वकृत पुण्यों के प्रभाव से प्रापत्ति भी प्राणियों को पराजित नहीं करती है, जैसे कि (बचपन) बाल्यावस्था में कृष्ण और विष्णु को आपत्तियों ने पराजित नहीं किया। - संस्कृतानुवादः-अहो आपदपि पूर्वकृतपुण्यानां प्रभावात् जीवान् न पराभवति, यथा बाल्यकाले कृष्णविष्णुरिव ।। ४० ।। ( ४१ )
SR No.002337
Book TitleDharmopadesh Shloka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1993
Total Pages144
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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