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________________ 70 / जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन "नैतिकता, सभी का प्रभावशाली समन्वय है।" यहाँ 'सभी' का अभिप्राय मानव की विभिन्न रुचियों, प्रवृत्तियों, समाज के सभी उच्च, नीच वर्ग तथा समाज में प्रचलित सभी रीति-रिवाजों से है। इस परिभाषा में 'समन्वय' पर बल दिया गया है। प्लेटो की नीति सम्बन्धी एक और परिभाषा न्याय के सम्बन्ध में है। वह कहता है "नीतिशास्त्र न्याय का विवेचन मात्र है।"2 किन्तु न्याय क्या है? यह प्राचीन युग से आज तक एक पेचीदा प्रश्न रहा है। न्याय की कोई स्पष्ट परिभाषा निश्चित नहीं की जा सकी है। परिभाषाएं सतत बदलती रही हैं। फिर 'न्याय का विवेचन'-यह और भी अस्पष्ट है। सोफिस्टवादी (Sophist) थ्रेसीमेकस (Thrasymachus) ने कहा है कि "न्याय शक्तिशाली के हितों का साधन मात्र है।" वह आगे तर्क देता हुआ कहता है कि 'सरकारें अपने हितों के अनुकूल कानून बनाती हैं और उन कानूनों के अनुसार न्यायाधीश न्याय करते हैं। तब न्याय कैसा?"3 यही विचार एक अन्य विचारक ने कुछ और भी कटु शब्दों में व्यक्त किये हैं____ "न्याय, मानव के लिये नैतिकता नहीं अपितु निम्न अथवा दलित मानव (विवश कमजोर मानव) के लिए नैतिकता हो सकती है। यह दासनैतिकता है, स्वाभिमानपूर्ण वीर नैतिकता नहीं है। ___बदलती हुई सरकारों, राजाओं, सत्ताधारियों के सन्दर्भ में ये सब बातें सत्य से परे नहीं है, दैनन्दिन अनुभव की बातें हैं। इतने पर भी सामान्यतः यह कहा जा सकता है कि व्यक्तिगत न्याय, सामाजिक न्याय, न्याय का मानव-जीवन तथा समाज की व्यवस्था में महत्व 1. Will Durant : The Story of Philosophy, p. 40 2. In The Republic justice is called the health of the soul and ethics are described as inquiry into justice. ---Erdmann : A History of Philosophy (Eng. translation) Vol. I p. 121 -उद्धृत-संगमलाल पाण्डेय : नीतिशास्त्र का सर्वेक्षण, पृ. 3 3. Will Durant: The Story of Philosophy, p. 16. 4. The justice is morality not for men but for footmen (oude gar andros all' andrapodou tinos), it is a slave-morality, not a hero morality -Gorgias, 491 -Quoted by WilIDurant : The Story of Philosophy, p. 87
SR No.002333
Book TitleNitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherUniversity Publication Delhi
Publication Year2000
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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