SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कुटुम्बीजनों ने मन्दिर का निर्माण करवाकर वि. सं. श्री भान्डवाजी तीर्थ 1233 माघ शुक्ला 5 के शुभ दिन प्रतिष्ठापना करवाई। आज भी उनके वंशजों की ओर से प्रतिवर्ष तीर्थाधिराज श्री महावीर भगवान, श्वेत वर्ण, ध्वजा चढ़ती है। अभी भी यह चमत्कारिक स्थल माना पद्मासनस्थ, लगभग 60 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) । जाता है व हजारों जैन व जैनेतर यहाँ की मानता रखते तीर्थ स्थल छोटे से भान्डवपुर गाँव के बाहर। हैं । उनके कथनानुसार उनका मनोरथ पूर्ण होता है । प्राचीनता प्रतीत होता है किसी वक्त यह एक प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला 13 से पूर्णिमा तक व कार्तिक विराट नगरी थी । वि. सं. 813 मार्गशीर्ष शुक्ला पूर्णिमा को मेला लगता है । तब हजारों भक्तगण सप्तमी को वेसालगाँव में प्रतिष्ठित हुई इस भव्य । __ आकर प्रभु भक्ति में तल्लीन होते हैं । प्रतिमा को यहाँ वि. सं. 1233 माघ शुक्ला 5 के दिन __ अन्य मन्दिर वर्तमान में यहाँ इसके अतिरिक्त पुनः प्रतिष्ठित किया गया । वि. सं. 1340 पौष शुक्ला । ___एक गुरु मन्दिर हैं । 9 के दिन जीर्णोद्धार पश्चात् पुनः प्रतिष्ठित किये जाने ____ कला और सौन्दर्य एकान्त जंगल में विशाल का उल्लेख है । परकोटे के मध्य स्थित इस प्राचीन भव्य बावनजिनालय विशिष्टता यह प्राचीन तीर्थ स्थल तो है ही. के मन्दिर में प्रभु प्रतिमा की कला अति ही आकर्षक उसके साथ चमत्कारिक स्थल भी है । प्रभु प्रतिमा का है । चमत्कार विख्यात है । कहा जाता है वेसाला नगर में मार्ग दर्शन यहाँ से नजदीक के रेल्वे स्टेशन जब सत्तारूढ़ आक्रमणकारियों का आक्रमण शुरु हुआ, जालोर 56 कि. मी. विशनगढ़ 40 कि. मी. मोदरा तब वहाँ मन्दिर को भी भारी क्षति पहुंची थी । इस 35 कि. मी. व भीनमाल 50 कि. मी. दूर है । इन प्रभु प्रतिमा को कोमता ग्रामवासी संघवी पालजी अपने सभी जगहों से बस व टेक्सी की सुविधा है। बस व गाड़े में विराजमान करके गाँव कोमता की ओर चले, कार आखिर मन्दिर तक जा सकती है । लेकिन गाड़ा कोमता न जाकर मेगलवा होता हुआ 888 ठहरने के लिए मन्दिर के अहाते में भान्डवा आकर रुक गया । संघवी पालजी को स्वप्न ही सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला है, जहाँ पर भोजनशाला में यहीं मन्दिर बनवाकर प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवाने व भाते की सुविधा उपलब्ध हैं । का संकेत मिला । तदनुसार संघवी पालजी व उनके पेढी श्री महावीर जैन श्वेताम्बर पेढ़ी, भाण्डवपुर तीर्थ, गाँव : भाण्डवपुर, पोस्ट : मेगलवा - 343 022. जिला : जालोर, प्रान्त : राजस्थान, फोन : 02977-66689. Kostu C-JAJNimbua arha 66 Khudala Bhata, Kanki_ GalwaDetawas u JNimbiole Chandra mal 77 Padan Habara um 76 abad JALOR. krokha Ki Dhani so Ahor Ummedouro Mengalwa Hary Nandiya Surana Bagora Manadar Modrane Morsim Chumbadiya Despen Bara Narsana AN Nawanagar Panther Budha Malani R Ramin) Gandhav hab Bhinmal phase Nimbav Gajura XOPawar ALKhandidao Padi SIRO s R OH Hariyali Jaswantura Mandwara Naya Saw 02 Separa Malwara Sanchor Raniwara Na 1 Doday Badgaon Beudal Andra श्री महावीर जिनालय-भाण्डवाजी N getara
SR No.002331
Book TitleTirth Darshan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy