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________________ 5. भगवतीसूत्र संवत् 226 स्वरूप पे. | कर्ता | कृति विशेषनाम*भाषा गद्य-पद्य परिमाण*आदि-अंत*प्र.क्र. 225 | घासीलालजी महाराज (2) | वि. 2017P | (सं.)* गद्य * (. 1) (250) महाश्रमणजी आचार्य, वि. 2050P | (सं.) * गद्य * (श्रु. 1→श. 16) {285} कनकप्रभाजी साध्वी 227 अर्वा, भाष्य महाप्रज्ञजी आचार्य | वि. 2050P | (हिं.) * गद्य * (श्रु.1→ श. 16) {285) (15) 228 अर्वा. टीका घासीलालजी महाराज |वि. 2017P | 'प्रमेयचान्द्रका' * (स.) * गद्य * (श्रु.1) {महावार धारब (16) समीर...एकदिवसेन उपदिश्यते इति।) {250) 229 शब्द., अनु, || वीरपुत्रजी महाराज | वि. 2022P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {अरिहन्त भगवान् को...विघ्न न विवे. (17) आवे।।) {262, 275) 230 अनु. (18) 1 A. F. Rudolf | वि. 1944P | (अं.) * गद्य * (श्रु. 1-→श. 15वाँ) {377} Hoernle 231 वि. 1974 (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {233, 236, 237, 280=4} 2| भगवानदास हरखचंद दोशी, बेचरदास जीवराज दोशी पंडित अमोलकऋषि गोपालदास जीवाभाई 232 वि. 1974P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {234} | वि. 1994P | 'टिप्पणयुक्त', 'भगवतीसार' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {241} 233 पटेल 234 235 236 237 239 240 | हीरालाल हंसराज (#) । | वि. 1994P | (गु.) * गद्य * (श्रु. 1→श. 17) {सर्वज्ञ, ईश्वर, अनंत, ...हे भगवन ! ते एमज छे।।61611} {240) 6 मदनकुमार महेता | वि. 2011P | विषयानुवाद' * (हिं.) * गद्य * (श्रु.1→श. 20) {247} 7 | घासीलालजी महाराज (#) | वि. 2017P (हिं.) * गद्य * (श्रु.1→श. 8, श. 9वाँ -उ. 31) {250} 8 | घासीलालजी वि. 2017P | (गु.) * गद्य * (श्रु.1→श. 8, श. 9वाँ-उ. 31) {250, 251) महाराज (#) |9| रूपेन्द्रकुमार पगारिया वि. 2022P (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1→श. 15वाँ) {उस काल और...विहार करते हैं।} {257} 10| जनक मुनि, जगदीशमुनि | वि. 2023 'भग.सूत्र उपक्रम', कथानुयोग रहित * (गु.) * गद्य * (श्रु. 1). {260) 11 K. C. Lalwani वि. 2029P | "टिप्पणयुक्त' * (अं.) * गद्य * (श्रु.1→श. 11) {293) 12| | कन्हैयालालजी मुनि वि. 2043P | (हिं.) * गद्य * (श्रु.1→श. 25→उ. 6-7) {277) (कमल) (#) महाप्रज्ञजी आचार्य, | वि. 2050P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1-→श. 16) {285} कनकप्रभाजी साध्वी 14 दीपरत्नसागरजी वि. 2053P | (गु.) * गद्य - (श्रु. 1) {अर्हतने नमस्कार थाओ, ...दिवसे उपदेशाय छे.} {292} 15 दीपरत्नसागरजी वि. 2058P (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {अर्हन्तों को नमस्कार...दी जानी चाहिए।} {301, 302, 1469} 16| महेन्द्रकुमारजी मुनि वि. 2061 | महाप्रज्ञजी और कनकप्रभा साध्वीजी कृत (हिं.) अनु. का भाषां. (द्वितीय), * (अं.) * गद्य * (श्रु.1→श. 2) {304) Nathamalji Tatia Dr. 241 244 245
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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