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________________ क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय | डॉ. महेन्द्र रांभिया कृत (हिं.) भाषां. (श्रु. 1 अ. 16वाँ)} भाग 1-2 (दे.ना. } {320} 348 ज्ञाताधर्मकथासूत्र [[GNATADHARMAKATHA | SUTRA] [ज्ञाता. सूत्र सह सुमनबाई | महासतीजी कृत (गु.) अनु.} {गु., | दे. ना. } [S] [283, 307 } 349 शारदा शिखर (ज्ञाता. सूत्र के मल्ली अध्ययन आधारित मल्लिनाथजी | अधिकार और प्रद्युम्न चरित्र संबंधित | शारदाबाई महासतीजी कृत प्रव. 109का नेमिचंद्रजी मुनि कृत (हिं.) भाषां (श्रु. 1 अ. 8वाँ ) ] भाग 1-2 (दे.ना. } {321} 350 ज्ञाताधर्मकथाङ्गम् {ज्ञाता.सूत्र मूल) (दे. ना. गु.) (5) (283) 351 ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र { ज्ञाता. सूत्र सह छगनलाल शास्त्री और महेन्द्रकुमार | रांकावत डॉ. कृत (हिं.) शब्दार्थ, अनु.) भाग 1-2 (दे.ना. } [T] [283, 294) 352 तेतली - पुत्र ( ज्ञाता. सूत्र के 14वें अध्ययन आधारित तेतलीपुत्र | अधिकार संबंधित लीलावतीबाई | महासतीजी के प्रव. 126 का रत्नकुमार कृत (हिं.) भाषां. (श्रु. 1 अ. 14)} (दे. ना. } [T] (315) 354 353 ज्ञाताधर्मकथाङ्गम् (ज्ञाता. सूत्र सह अभय. टीका} (दे.ना.} (283,284 ) आगम सटीक अनुवाद (ज्ञाताधर्मकथा) (ज्ञाता. सूत्र का दीप.कृत (गु.) अनु., अभय. टीकानुसारी विवे.) भाग 14 (गु.) {308, 314) आगम प्रकाशन परिचय | प्रकाशक (ग्रंथमाला) गुरुप्राण फाउन्डेशन, महावीर सेवा ट्रस्ट, राजकोट आगमबत्रीसी रत्न 23 } शारदा प्रवचन संग्रह समिति जैनानंद पुस्तकालय अखिल भारतीय सुधर्म | जैन संस्कृति रक्षक संघ {रत्न 116 } अखिल भारतीय सुधर्म | जैन संस्कृति रक्षक संघ {रत्न 71) जिनशासन आराधना ट्रस्ट, (P) आगमोदय समिति प्राचीन श्रुत समुद्धार पद्ममाला, पद्म 6 } श्रुत प्रकाशन निधि संपादक, संशोधक आदि प्रधान संपा, लीलमबाई महासतीजी, सहसंपादिका आरतीबाई महासतीजी डॉ. सुयोधिकाबाई साध्वी अप्रदर्शित संपा. पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व संशो. पूर्व संपा. सागरानंदसूरि संपा. नेमिचंदजी बांठिया, पारसमल चण्डालिया संपा. - रत्नकुमार (रत्नेश) पूर्व संशो. पूर्व संपा. सागरानंदसूरि (#) संपा, दीपरत्नसागरजी (8) 7. उपासकदशांगसूत्र (355-390) धनपतसिंह बहादुर 355 उपासकदशासूत्र (उ. द. सूत्र सह | अभय. टीका, अज्ञात कर्तृक बा.बो. } [आगमसंग्रह भाग 7 } {दे. ना.} {324, 325, 328 } संशो. भगवानविजयजी वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 2060 (1) |568 (B) 2060 532+590= 2061 (अ.) 1122 (B) 2061 (1) 274 (P) 2062 (2) 2064 (11) 644 (B) 2064 (पु.मु.) 464+384= 848 (B) 125 266 (P) 2066 (3T) 272 (C) 1933 (3T.) 238 (P)
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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