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________________ आगम कृति परिचय क्र. स्वरूप पे. | कर्ता संवत् कृति विशेषनाम*भाषा*गद्य-पद्य*परिमाण*आदि-अंत*प्र.क्र. 1021 नियुक्ति (2) | 1 | भद्रबाहुस्वामी वीरसदी 907, 908, 909, 910, 911, 912, 913, 914, 915, 916, 917, 918, 919, 920, 921, 922, 923, 924,926, 927, 928, 929, 930, 932, 933, 934, 935, 936, 937, 938, 939, 940, 942, 943, 944, 945, 949,950, 951, 953, 954,955,1347, 1351,1354, 1356, 1357, 1359,1361, 1362, 1363, 1364, 1366, 1368, 1372, 1376, 1378, 1392, 1393, 1394, 1395, 1409, 1411, 1422, 1428, 1452, 1464, 1507, 1510, 1548, 1594, 1773, 1776%3D132} (प्रा.) * पद्य * गाथा 371 ग्रं.550 {सिद्धिगइमुवगयाणं कम्मविसुद्धाण सव्वसिद्धाणं।...अ विआलणा संघे।।} {838, 848, 854, 856, 869, 886, 900, 916, 917, 918, 920, 932, 942, 943, 945,953, 1510, 1512, 152519 (प्रा.) * पद्य * गाथा 10 {सेज्जंभवं गणधरं, जिणपडिमा. दंसणेणं...धम्मम्मि निच्चला होसु।।) (1525) (प्रा.) * पद्य * गाथा 63 {एस पइन्नासुद्धी हेऊ... अहक्कम फासणा होइ।} {838, 848, 854, 869, 886, 900, 916, 917, 918, 920,942, 943,945, 953, 1510, 1525316) दूसरी 1022 2 अज्ञात वि. 1442# 1023 भाष्य (3) अज्ञात चूर्णि (4) |1| अगस्त्यसिंह स्थविराचार्य | वि. 300# 1025 2 | जिनदासगणिजी महत्तर | वि. 733# 1026 टीका (5) 1 | हरिभद्रसूरि वि. 8332 मूल एवं नियुक्ति की चूर्णि * (प्रा., सं.) * गद्य * (अ. 10, चू. 2) (गाथा 271), प्रशस्ति गाथा-5 (प्रा.) {अरहंत-सिद्ध-विदुवायणारिए णमिय सव्वसाधू...चुण्णिसमासवयणेण दसकालियं परिसमत्तं।।) {918, 932} मूल एवं नियुक्ति की चूर्णि * (प्रा., सं.) * गद्य * (अ. 10, चू. 2) ग्रं.7970 {नमो जिनागमाय। णमो...चेव आराहणा भण्णतित्ति।।} {860, 918} 'शिष्यबोधिनी', मूल, नियुक्ति एवं भाष्य की टीका * (सं.) * गद्य * (अ. 10, चू. 2), प्रशस्ति श्लोक-2 ग्रं.6850 {जयति विजितान्यतेजाः सरासराधीशसेवितः...चलिकासहितं नियुक्तिटीकासहितं च।।) {838, 869, 886, 900, 916,917,918,942,943,945,953-11) (सं.) * पद्य, गद्य * (अ. 10, चू. 2), प्रशस्ति श्लोक-13 ग्रं.7000 {अर्हन्तः प्रथयन्तु मङ्गलममी, ... समाप्तौ। ब्रवीमीति पूर्ववत्।) {922,955} 'हारि. टीका आधारित लघुटीका' * (सं.) * गद्य * (अ. 10, चू. 2), प्रशस्ति श्लोक-11 ग्रं.3500 {जयति विजितान्यतेजाः सुरासुराधीशसेवितः...दानमुखाश्चतस्रः शाखा: धर्मसुरद्रुमस्य।। 1111} {871,918, 954,9554} | 'शब्दार्थ वृत्ति', 'दीपिका' * (सं.) * गद्य * (अ. 10, चू. 2), प्रशस्ति श्लोक-7 ग्रं.3033 {स्तम्भनाधीशमानम्य, गणिः 1027 वि. 1304 | तिलकसूरि, कृतिसंशो.-श्रीपालचंद्र 1028 सुमतिसाधुसूरि वि. 15502 1029 समयसुंदरजी उपाध्याय वि. 1691
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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