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________________ 39) ममता से अनर्थ । बहुत ग्रंथो में सत्रह तरह के 40) आध्यात्मिक ज्ञान का दान सबसे बड़ा दान मूर्ख बताए हैं। 1) दान मे अंतराय डालने वाला 41) ममता से संसार वृद्धि । 2) धर्म चर्चा के समय व्यर्थ बातें करने वाला । 42) रोग से भय । 3) भोजन करते समय क्रोध करने वाला | 43) समझ सुख है और नासमझ ही दुःख है। 44) अपने दोष को अपने पहले मरने दो। 4) बिना कारण के लडाई झगड़ा करने वाला | 45) अहिंसा से वैर नाश । 5) सज्जन पुरूषों का अपमान करने वाला । 46) मंजिल बिना मार्ग नहीं, ध्येय बिना जीवन | 6) दान देकर अहंकार भाव करने वाला | नहीं। 7) दान देकर पश्चाताप करने वाला । 47) माँ की ममता की एक बूंद अमृत के सागर से 8) उपकारी का उपकार नहीं मानने वाला । भी बढ़कर है। 9) अपनी खुद की खूब प्रशंसा करने वाला 48) सत्य से वचन सिद्ध । 10) शांत हुए क्लेश को वापस करने वाला । 49) धीर और व्यवसायी के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं। 11) मार्ग में दौड़ने वाला । 50) न्याय से निधान । 12) शक्ति होते हुए भी सेवा नही करने वाला। 51) मनुष्य स्वयं ही अपने भाग्य का विधाता है। 13) बिना कारण हँसने वाला । 52) ब्रह्मचर्य से अनंत शक्ति । 14) मार्ग में चलते हुए खाने वाला | 53) दयालु दिल, भगवान का मन्दिर है, जहां | 15) बीती हुई बातों को फिर से सोचने वाला । भीड़ लगती है। 16) बिना बतलाए बोलने वाला । 54) सन्तोष से कैवल्य । 17) दो मनुष्य बात कर रहे हो तो बीच में बोलने 55) जिसने मन को जीता उसने जगत को जीता। वाला। 56) भय से चंचलता। भूल 57) उदार हृदय बिना धनवान भी एक भिखारी 1) भूल न करनेवाले अरिहंत देव है । 58) चंचलता से दुःख । 2) भूल सुधारने वाला साधक हैं । 59) स्थिरता से सुख । 3) भूल करनेवाला मानव है। 60) प्रभु परमात्मा से नित्य एक ही प्रार्थना करे 4) भूल को छिपाने वाला अज्ञानी है । कि “हे प्रभु”! सदबुद्धि दें।
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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