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________________ केवलज्ञानप्रश्नचूडामणिः अ क च ट प य शा वर्गाः। प्रथमः॥१॥ आ ए क च ट त प य शा वर्गा इति । आ ऐ ख छ ठ थ फ र षा इति द्वितीयः ॥२॥ इ ओ ग ज ड द ब ल सा इति तृतीयः ॥३॥ ई औ घ झ ढ ध म व हा इति चतुर्थः ॥४॥ उ ऊ ङ ज ण न माः, अं आ, इति पञ्चमः ॥५॥ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः एतन्याक्षराणि सर्वांश्च कथकस्य वाक्यतः प्रश्नाद्वा गृहीत्वा स्थापयित्वा सुष्ठु विचारयेत् । तद्यथा-संयुक्तः, असंयुक्तः। अभिहितः, अनभिहितः, अभिघातित इत्येतान् पञ्चालिङ्गिताभिधूमितदग्धांश्च त्रीन् क्रियाविशेषान् प्रश्ने तावद्विचारयेत्। अर्थ-अ क च ट प य श अथवा आ ए क च ट त प य श इन अक्षरों का प्रथम वर्ग; आ ऐ ख छ ठ थ फ र ष इन अक्षरों का द्वितीय वर्ग; इ ओ ग ज ड द ब ल स इन अक्षरों का तृतीय वर्ग: ई औ घ झ ढ ध भ व ह इन अक्षरों का चतुर्थ वर्ग और उ ऊ ङ ञ ण न म अं अः इन अक्षरों का पंचम वर्ग होता है। इन अक्षरों को प्रश्नकर्ता के वाक्य या प्रश्नाक्षरों से ग्रहण कर अथवा उपर्युक्त पाँचों वर्गों को स्थापित कर प्रश्नकर्ता से स्पर्श कराके अच्छी तरह फलाफल का विचार करना चाहिए। संयुक्त, असंयुक्त, अभिहित, अनभिहित और अभिघातित इन पाँचों का तथा आलिंगित, अभिधूमित और दग्ध इन तीन क्रिया विशेषणों का प्रश्न में विचार करना चाहिए। १. तुलना-चं. प्र., श्लो, ३३। “वर्गो द्वौ विद्वद्भिादशमात्रासु विज्ञेयौ। काद्याः सप्त च तेषां वर्णाः पञ्चाब्धयोऽङ्कवर्गाणाम्॥” के. प्र. र., पृ. ४। प्र. कौ. पृ. ४। प्र. कु. पृ. ३। “अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ ध्वजः सूर्यः ॥१॥ क ख ग घ धूम्रः भौमः ।'-ध्व. प्र., पृ. १। २. पञ्चसु वर्गेषु इतीति पाठो नास्ति-क. मू.। ३. इ ओ ग ज ड ब ल स्ताः तृतीयः-क. मू.। ४. स्वरांश्च-क. मू.। ५. तुलना-के. प्र. सं., पृ. ४। संयुक्तादीनां विशेषविवेचनं चन्द्रोन्मीलनप्रश्नस्यैकोनविंशतिश्लोके द्रष्टव्यम्-के. प्र. र., पृ.१२, ध्व. प्र. पृ., १। केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि : ६१
SR No.002323
Book TitleKevalgyan Prashna Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages226
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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