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________________ केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि ‘केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि’– अर्थात् किसी भी फूल, फल, देवता, नदी या पहाड़ का नाम लो और मनचाही बात बूझों। जीवन-मरण, लाभ-हानि, संयोग-वियोग, सुख-दुःख, चोरी गयी वस्तु का पता, परदेशी के लौटने का समय, पुत्र या कन्या प्राप्ति, मुकदमा जीतने- हारने की बात-उ - जो कुछ भी चाहें पूछें और उत्तर अपने आप प्राप्त करें । 'केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि' प्रश्नशास्त्र का एक लघुकाय किन्तु महत्त्वपूर्ण और चमत्कारी ग्रन्थ है । प्रश्नशास्त्र फलित ज्योतिष का अंग जाना जाता है। इसमें प्रश्नकर्ता के प्रश्नानुसार बिना जन्मकुण्डली के फल बताया जाता है । ज्योतिषशास्त्र में प्रश्नों के उत्तर तीन प्रकार से दिए जाते हैं : प्रश्नकाल को जानकर, स्वर के आधार पर, प्रश्नाक्षरों के आधार पर। इन तीनों सिद्धान्तों में अन्तिम सिद्धान्त अधिक मनोवैज्ञानिक एवं प्रामाणिक है । प्रस्तुत कृति में इसी सिद्धान्त का अत्यन्त सरल एवं विशद विवेचन है। प्रश्नकर्ता के प्रश्नानुसार अक्षरों से अथवा पाँच वर्गों के अक्षर स्थापित करके इनका स्पर्श कराकर प्रश्नों का फल किस प्रकार ज्ञात किया जाता है, इसका विवेचन किया गया है। विद्वान् सम्पादक ने विस्तृत प्रस्तावना तथा विभिन्न परिशिष्टों द्वारा ग्रन्थ को और अधिक उपयोगी बना दिया है। प्रस्तुत कृति का यह नवीन संस्करण इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि पाठकों के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है।
SR No.002323
Book TitleKevalgyan Prashna Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages226
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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