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________________ ५८ तीर्थरक्षक सेठ शान्तीदास विदेशी सरकार का झुकाव अपने देशवासियों के हित की ओर अधिक था। वे लोग भारत से कपास (कच्चा माल) अपने देश में ले जाकर वहां का बना कपड़ा भारत में लाकर बेचते थे। भारत उनके लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की तरह लाभदायी क्षेत्र था। भारत की सम्पत्ति का प्रवाह इंग्लैण्ड की ओर बह रहा था। ___ अन्न के बाद जीवन में सबसे आवश्यक स्थान कपड़े का था और है। अंग्रेजों ने यंत्रों और तकनीकी ज्ञान के विकास के द्वारा इस उद्योग का ऐसा विकास किया कि भारत में चर्खे और करघे से बने कपड़े की अपेक्षा विदेशी कपड़ा सस्ता पड़े और देखने में भी अच्छा लगे । बम्बई व अहमदाबाद के उद्योगपतियों ने अनुभव किया कि यदि हम यंत्र का उपयोग और आधुनिक टेकनिक नहीं अपनाते हैं तो मेनचेस्टर का मुकाबला नहीं कर सकेंगे। इसलिए वस्त्रोद्योग के लिए मिलें खोलीं। प्रारम्भ की कठिनाइयां, परिश्रम, व्यवहारकुशलता तथा साहस से दूर की। उस समय की औद्योगिक और व्यावसायिक परिस्थिति को समझे बिना, जनमानस का निरीक्षण किए बिना पूर्वजों ने जो कार्य किया उसका हम सही मूल्यांकन नहीं कर सकेंगे। उस समय नये उद्योग शुरू करने का खतरा उठाने की अपेक्षा विदेशी माल अपने देश में लाकर बेचना आसान था और उसमें तत्कालीन लाभ भी अधिक था। इसके बावजूद जिन्होंने देश में नये उद्योगों की नींव डालने का साहस किया उन्होंने देश और समाज की बहुत बड़ी सेवा की, जिसकी आज ठीक कल्पना भी नहीं की जा सकती। ___ वैसे तो मिल उद्योग की शुरूआत गुजरात में १८५३ में जेम्स लेंडन ने भरुच काटन मिल की स्थापना से की थी। अहमदाबाद में रणछोड़लाल छोटालाल ने १८५८ में कम्पनी स्थापन कर इंग्लैंड में दादाभाई नवरोजी के द्वारा यंत्रों की खरीदी की और वे यंत्र खंभात
SR No.002308
Book TitleTirthrakshak Sheth Shantidas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRishabhdas Ranka
PublisherRanka Charitable Trust
Publication Year1978
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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