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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. जेसलमेर की तीर्थयात्रा करके संघ वापस आया । इस बार तो वासना गांव के लोगों ने उनके गांव में ही डेरा डालने का आग्रह किया । अतः संघ ने वहां डेरा डाला । ५२ पुनः ऐसा हुआ कि उसी दिन मूसलाधार बरसात हुई । इससे ग्रामजनों को बहुत आश्चर्य हुआ । वे महाराज श्री को झुकझुककर प्रणाम करने लगे । | संघ विचरण करता हुआ फलोधी आ पहुंचा । महाराज श्री ने संघ के भाईयों को बुलवाकर बता दिया कि उनकी धारना से दुगना खर्च संघ निकालने में हो गया है । इससे महाराज श्री ने ये बोझ अब से कम हो इसलिए प्रत्येक गांव की नवकारशी गांव वाले और अन्य उठा लें ऐसा प्रस्ताव रखा । किन्तु संघ के भाईयों ने कहा कि 'संघ की संपूर्ण जिम्मेदारी हमारी ही है। किसी भी तरह इस खर्च का लाभ हमें ही लेना है ।' वे अपने निर्णय में दृढ थे । उनकी दृढभावना देखकर महाराज श्री ने उनकी बात स्वीकारी और उन्हें आशिर्वाद दिये । दूसरे दिन संघ के भाईयों पर एक तार आया था । उनका मद्रास में रूईका व्यापार चलता था। तार में लिखा था कि रूई के एक सौदे में अचानक साढे तीन लाख रुपये का नफा हुआ है । महाराज श्री को यह तार पढवाते हुए संघवी भाईयों ने कहा: 'गुरुदेव देखिए आपकी ही कृपा से इस संघ का तमाम खर्च हमारे लिए इस एक सौदे में अचानक ही निकल गया है ।' यह बात संघ में फैलते ही संघ के आनंद की सीमा न रही ।
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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