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________________ उक्त परिस्थितियों में प्रथमानुयोग में वर्णित, निगोद से लेकर मोक्ष तक की, रंक से लेकर चक्रवर्ती तक की, कुरूप से लेकर कामदेव की स्थितियों में जीव की दशा व अहसासों को पढ़कर, जानकर व विचारों में जीकर संसार की निस्सारता व मोक्ष की सार्थकता का निर्णय अल्पकाल में ही किया जा सकता है और तब उक्त पृष्ठभूमि में अध्यात्म का विज्ञान कार्यकारी हो जाता है। यदि सूत्रात्मक रूप से कहा जाये तो - "प्रथमानुयोग का कथ्य संसार की निस्सारता का सार है।" इस तथ्य को जानने व इसकी अहमियत को पहिचानने के बाद प्रथमानुयोग के ग्रन्थों की टीका व सरल, सुबोध एवं रुचिकर व्याख्या करना मेरी चिर संचित अभिलाषा है।.आशा है इस अभिलाषा की पूर्ति शीघ्र ही होगी। जब मैं प्रस्तुत कृति को एक विस्तृत उपन्यास का रूप देने की दिशा में अग्रसर था, तब मेरी योजना थी कि समाज के विभिन्न आयुवर्ग, आय व बौद्धिकस्तर वर्ग को ध्यान में रखकर उनके जीवन में आनेवाली जटिल परिस्थितियों को प्रस्तुत कर उनका समाधान प्रस्तुत किया जावे व उन परिस्थितियों से उबरकर, किसप्रकार आत्मकल्याण के मार्ग पर लगा जा सकता है, वह मार्ग प्रस्तुत किया जा सके; परन्तु यह कोई आसान कार्य नहीं है व अनुभव की कमी के कारण मात्र विचारों के धरातल पर विभिन्न परिस्थितियों का सृजन करना मेरे लिए सम्भव नहीं हो सका; तथापि मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि हम किसी भी परिस्थिति से क्यों न गुजर रहे हों, कितनी ही विषमताओं का सामना क्यों न कर रहे हों; उनसे उबरने का उपाय विद्यमान अवश्य है, योग्य चिन्तन के जरिये वह उपाय आसानी से खोजा भी जा सकता है। मेरे इस कार्य में पाठक मेरे सहयोगी भी बन सकते हैं, यदि वे ऐसी विभिन्न परिस्थितियों का शब्दचित्र मेरे समक्ष उपस्थित करें तो मैं महसूस करता हूँ कि मैं उनका समाधान, उन परिस्थितियों से उबरने का उपाय प्रस्तुत कर सकूँगा। . . प्रस्तुत विषयवस्तु के सन्दर्भ में सुधी व प्रबुद्ध पाठकों की प्रतिक्रियायें व रचनात्मक सुझावों का हमेशा स्वागत है। - परमात्मप्रकाश भारिल्ल . - अपनी बात/x
SR No.002294
Book TitleAantardwand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmatmaprakash Bharilla
PublisherHukamchand Bharilla Charitable Trust
Publication Year2011
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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